वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ सैन्य गतिरोध चौथे साल में प्रवेश कर गया है। ऐसे में भारत और चीन के तमाम प्रयासों के बीच उसके इस एजेंडे को स्वीकार करने के मूड में नहीं है कि लद्दाख में स्थिति ठीक है और दोनों देशों के संबंध सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गतिरोध के बीच इस एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले नवीनतम चीनी नेता रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू हैं। उन्होंने पिछले हफ्ते अपने भारतीय समकक्ष के साथ एक बैठक में कहा था कि ‘सीमा आम तौर पर स्थिर’ है और दोनों देशों को सीमा मुद्दे को उचित स्थिति में रखना चाहिए।
New Delhi is no mood to toe the line of the Chinese that everything along the Line of Actual Control (LAC) in eastern Ladakh is normal as the stand-off enters its fourth yearhttps://t.co/koO0jHkndR#newdelhi #china #LAC #ladakh #PingingLake
— Oneindia News (@Oneindia) May 2, 2023
जानकारों का कहना है कि एलएसी पर शांति और स्थिरता के बिना भारत-चीन संबंधों को सामान्य नहीं किया जा सकता है। इस बारे में उन्होंने देपसांग और डेमचोक जैसे टकराव वाले बिंदुओं पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की हालिया टिप्पणी की ओर इशारा किया। जयशंकर ने कहा था कि एलएसी पर स्थिति ‘बहुत नाजुक’ बनी हुई है। क्योंकि ये ऐसे बिंदु हैं जहां भारतीय और चीनी सैनिकों की तैनाती काफी खतरनाक है।
No improvement in overall ties till LAC standoff is resolved: Rajnath's strong message to China
— The Times Of India (@timesofindia) April 28, 2023
Rajnath doesn't shake hands with Chinese counterpart Li, signals chill in bilateral tieshttps://t.co/LXFxPuvnbS
वहीं, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 अप्रैल को ली शांगफू के साथ बैठक में एलएसी विवाद को उठाया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि सीमा प्रबंधन समझौतों के उल्लंघन से द्विपक्षीय संबंध खत्म हो गए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि संबंधों का विकास सीमाओं पर शांति पर ही निर्भर करता है। सिंह ने इस साल 19 अप्रैल को सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए चीन के साथ सीमा पर किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने की भारतीय सेना की क्षमता पर भरोसा जताया था। उन्होंने कहा था कि लद्दाख सेक्टर में लंबित विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बातचीत जारी रहेगी। उन्होंने कहा था कि सैनिकों की वापसी और तनाव कम करना ही आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है।
"..India-China ties abnormal, #China violated the border pact..", EAM Jaishankar, says, in #DominicanRepublic, in a rebuke to Chinese Defence Minister remarks post the defense bilateral held recently where he'd tried to downplay and formalize the Chinese aggression on LAC. pic.twitter.com/GIISmXUVKr
— Schrödinger (@thewittynoise) April 29, 2023
जानकारों का कहना है कि भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) द्वारा सितंबर 2022 में पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 से सैनिकों को वापस बुलाने के बाद से सीमा वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। मई 2020 की शुरुआत में एलएसी विवाद शुरू होने के बाद से यह चौथा गतिरोध है, जो 17 जुलाई, 2022 को सैन्य कमांडरों के बीच 16 वें दौर की वार्ता के बाद हुआ था। गलवान घाटी, पैंगोंग झील, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) में पीछे हटने के चार दौर के बातचीत के बावजूद भारत और चीन के अभी भी 60,000 से अधिक सैनिक लद्दाख में उन्नत हथियारों के साथ तैनात हैं।
#ArunachalPradesh #Tawang travel Part 2:-
— Milan Sharma (@Milan_reports) May 1, 2023
I report on infra that Indian govt is building across Arunachal’s LAC faced with an assertive, expansionist #China. My ground report on how India has fast-tracked work on road and railway network to transport heavy equipment right till… pic.twitter.com/Z7UCZESyAO
गौरतलब है कि मई 2020 की शुरुआत में पैंगोंग झील पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प के साथ पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद खुलकर सामने आ गया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध छह दशकों में अपने सबसे निचले बिंदु पर पहुंच गया। रही सही कसर अगले महीने गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच खतरनाक झड़प के बाद सामने आई। झड़प की वजह से 20 भारतीय सैनिक और कई चीनी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद एलएसी पर समस्याओं का समाधान निकालना और मुश्किल हो गया।