क्या पूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन भारतीय मूल के थे। इराक में इसे लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। प्रमाण के तौर पर डीएनए विश्लेषण को इसका आधार बताया जा रहा है। दरअसल इराक में असैब अहल अल-हक आंदोलन के महासचिव कैस अल-खजाली ने दावा किया है कि पूर्व इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के डीएनए विश्लेषण से साबित हो गया है कि वह भारतीय मूल के थे। अल-खजाली के बयान ने सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छेड़ दी है।
#QaisAlKhazali: Saddam Hussein’s DNA Analysis Proved His Indian Origins
— Asharq Al-Awsat English (@aawsat_eng) April 23, 2023
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अल-खजाली ने बगदाद में शनिवार को ईद अल-फितर के अवसर पर एक संदेश में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि सद्दाम हुसैन यह विश्वास करते थे कि इराकी लोगों की उत्पत्ति भारत में हुई है। इन बातों का वह प्रचार भी करते थे। डीएनए विश्लेषण के बाद यह पता चला है कि वह खुद भारतीय मूल के थे। हालांकि पार्टी के किसी भी नेता ने पहले निश्चित रूप से पूर्व इराकी राष्ट्रपति या उनकी जनजाति की उत्पत्ति पर चर्चा नहीं की थी।
हालांकि अल-खजाली ने यह उल्लेख नहीं किया कि वह पूर्व इराकी राष्ट्रपति की उत्पत्ति के बारे में इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे या उन्होंने डीएनए परीक्षण के माध्यम से वंश की पहचान कैसे की, जो आमतौर पर विशेष प्रयोगशालाओं में किया जाता है। अल-खजाली के करीबी सूत्रों ने अशरक अल-अवसत को बताया कि वह इराकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों पर भरोसा करते हैं जो पिछली शताब्दी के दौरान इराक में रहने वाले लोगों के वंश में रुचि रखते थे। इन अध्ययनों ने निष्कर्ष निकाला गया कि निदा जनजाति में ‘इंडो-आर्यन’ मूल है। हालांकि इन अध्ययनों की वैधता और विश्वसनीयता को सत्यापित करना मुश्किल है।

हालांकि इससे पहले 2017 में सरकारी पत्रिका ‘अल-शबाका’ ने ‘सद्दाम की उत्पत्ति’ की एक जांच रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसमें दावा किया गया कि डीएनए परीक्षण ने साबित किया है कि वह ‘एल’ वंश से संबंधित थे। यह वंश दक्षिण एशिया में पाया जाता है। लेकिन इस अध्ययन में उल्लेख नहीं किया गया था कि यह परिणाम कैसे मिला। इसके साथ ही इसमें किसी भी वैज्ञानिक स्रोत का उल्लेख नहीं किया गया जो इन दावों की पुष्टि करता है।
गौरतबल है कि मार्च 2003 में अमरीका ने अपने कुछ सहयोगी देशों के साथ इराक पर हमला कर दिया था। 13 दिसंबर, 2003 को सद्दाम हुसैन को पकड़ लिया गया। 5 नवंबर 2006 को उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गई। इसके बाद 30 दिसंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया गया। उनकी मौत के बाद की रिपोर्टों में डीएनए विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया गया। जिसमें सद्दाम को उनके बेटों उदय और कुसे की लाशों से जोड़ा गया था जिससे उनकी पहचान की पुष्टि की जा सके।