Skip to content

डिबेट में विवेक रामास्वामी का LGBTQ पर विवादित बयान, भड़का समुदाय

कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रोनाल्ड रीगन लाइब्रेरी में इस डिबेट के दौरान सात उम्मीदवारों का आमना-सामना हुआ। इस दौरान उम्मीदवारों ने आव्रजन नीति, अमेरिका-चीन संबंध और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी।

रिपब्लिकन डिबेट में जमकर घमासान हुआ। फोटो साभार सोशल मीडिया

रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी ने एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक) समुदाय को नाराज कर दिया है। उम्मीदवारी के लिए दूसरी डिबेट के दौरान उन्होंने समलैंगिकता को मानसिक स्वास्थ्य डिसऑर्डर करार दे दिया। इससे समुदाय में नाराजगी है।

विवेक ने कहा कि हमें सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि यह (समलैंगिकता) क्या है। किसी बच्चे के भ्रम की पुष्टि करना दयालुता नहीं है। यह करुणा नहीं है। यह क्रूरता है। उन्होंने लिंग परिवर्तन ऑपरेशन को जननांग विकृति बताते हुए कहा कि यदि कोई बच्चा स्कूल में अपनी लिंग पहचान बदलता है तो माता-पिता को सूचित किया जाना चाहिए। बहस के बाद न्यू इंडिया अब्रॉड ने कई भारतीय अमेरिकी एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ताओं ने बात की, जिन्होंने विवेक की टिप्पणी पर निराशा व्यक्त की।

विवेक ने समलैंगिकता को मानसिक स्वास्थ्य डिसऑर्डर करार दे दिया।

कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रोनाल्ड रीगन लाइब्रेरी में इस डिबेट के दौरान सात उम्मीदवारों का आमना-सामना हुआ। ज्यादातर समय वे एक-दूसरे पर चिल्लाते रहे। मॉडरेटर उन्हें शांत करने की कोशिश करते नजर आए। इस दौरान उम्मीदवारों ने आव्रजन नीति, अमेरिका-चीन संबंध और लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस डिबेट में भी शामिल नहीं हुए।

एनबीसी न्यूज के 24 सितंबर के सर्वेक्षण में ट्रंप 59 प्रतिशत अंकों के साथ रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी में सबसे आगे हैं। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसैंटिस हैं, जिन्हें 43 प्रतिशत अधिक मत मिले हैं। दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली 5.6 प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं जबकि रामास्वामी 5.2 प्रतिशत मत लेकर चौथे स्थान पर दिखाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि रियल क्लियर पॉलिटिक्स पोल में राष्ट्रपति जो बाइडेन और हेली के बीच टकराव में हेली को 4 प्रतिशत अंकों से आगे दिखाया गया है।

डिबेट से पहले राजनीतिक पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि निक्की हेली इस बहस के दौरान में मजबूत नजर आएंगी। हुआ भी ऐसा ही। सेन टिम स्कॉट की आलोचना करते हुए, चीन से व्यापार और सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर दिखाई देने के लिए रामास्वामी पर हमला करते वक्त निक्की हेली का जोरदार अंदाज दिखा।

टिकटॉक पर हेली ने कहा कि यह सबसे खतरनाक ऐप में से एक है और आप चाहते हैं कि बच्चे इसका इस्तेमाल करें। आपने चीन में उन कंपनियों के साथ कारोबार किया है, जिन्होंने हंटर बाइडेन को पैसा दिया। हम आप पर भरोसा नहीं कर सकते। हेली ने रामास्वामी से यहां तक कहा किहर बार जब मैं आपको सुनती हूं तो मुझे थोड़ा डर लगता है।

ट्रांसजेंडर युवाओं पर रामास्वामी की विवादित टिप्पणी के बाद ट्विटर पर प्रतिक्रियाओ की बाढ़ सी आ गई। जेपी मॉर्गन चेस के प्रबंध निदेशक और नीति केंद्र के अध्यक्ष पराग मेहता ने न्यू इंडिया एब्रॉड से कहा कि अमेरिका के लोगों ने एलजीबीटीक्यू समुदायों को समझने में अविश्वसनीय प्रगति की है। हमें कोई ऐसा व्यक्ति फिर से अंधकार भरे युग में वापस नहीं खींच सकता जो समाज के सबसे कमजोर सदस्यों- ट्रांसजेंडर बच्चों के बहाने सत्ता में अपनी धमक बढ़ाना चाहता है।

पराग मेहता ने अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति का हवाला देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर होना कोई बीमारी नहीं है जिसके इलाज की जरूरत हो। मेहता के पति और एएपीआई विक्ट्री फंड के चीफ ऑफ स्टाफ वैभव जैन ने न्यू इंडिया अब्रॉड से कहा कि विवेक रामास्वामी की टिप्पणी शर्मनाक है। यह हमारे ट्रांसजेंडर भाई-बहनों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देगी।

विवाह और पारिवारिक चिकित्सक एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता स्नेहल शास्त्री ने न्यू इंडिया अब्रॉड को मानसिक विकारों के इलाज और सांख्यिकीय मैनुअल – मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की बाइबल – को अब "लिंग पहचान विकार" शब्द का उपयोग नहीं किया है। इसे "लिंग डिस्फोरिया" कहा है ताकि मानसिक बीमारी से इसका संबंध न हो।

शास्त्री ने कहा कि रामास्वामी का दावा है कि उन्होंने डीएसएम से अपनी टिप्पणी ली है लेकिन वह गलत हैं। मैं निराश हूं कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार राष्ट्रीय मंच से कुछ ऐसा कहेगा जो पहले से ही हाशिए पर पड़े समुदाय को और नुकसान पहुंचा सकता है।

शास्त्री ने रामास्वामी के इस बयान की भी निंदा की कि माता-पिता को यह जानने का अधिकार है कि क्या उनके बच्चे ने स्कूल में अपना लिंग बदल लिया है। अगर किसी बच्चे को लगता है कि वे अपने माता-पिता को बताना चाहते हैं तो यह बहुत अच्छा है, लेकिन यदि नहीं तो बच्चों को शरीर की स्वायत्तता का भी अधिकार है।

Comments

Latest