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विवेक रामास्वामी ने ऐसा क्या कह दिया कि हो रही है चर्चा, पसंद कर रहे लोग

स्वामी का कहना है कि मैं अमेरिका फर्स्ट एजेंडा को उस जगह से भी आगे ले जाना चाहता हूं जहां ट्रम्प कभी पहुंचे ही नहीं। न्यू हैम्पशायर में एक चुनावी सभा के दौरान स्वामी ने यह बात कही।

विवेक रामास्वामी

विवेक रामास्वामी एक पाबंद शाकाहारी हैं लेकिन जब बात राजनीति और नीति की आती है तो वह 'लाल मांस' (red meat) से कम नहीं हैं। अपनी उम्मीदवारी के दावे के साथ वह कुछ ऐसी बातें सार्वजनिक मंचों से कह रहे हैं जो कुछ अजीब लगती हैं और कभी आधारहीन। शायद इसीलिए उन बातों की चर्चा है। उनका दावा है कि अगर वह जीते तो अपने कार्यालय के पहले ही दिन अपने वायदे पूरे करने के लिए कार्यकारी आदेश जारी किेये जाएंगे।

अपने दावों के साथ एक मंच पर स्वामी

राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन नामांकन की मांग करने वाले उत्साही भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवार जब कहते हैं कि वह सकारात्मक कार्रवाई को समाप्त करना चाहते हैं, शिक्षा विभाग को बंद करना चाहते हैं, शिक्षकों के संघों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं, एफबीआई और आईआरएस को बदलना चाहते हैं, दक्षिणी सीमा पर सैन्य कार्रवाई के साथ मैक्सिकन ड्रग कार्टेल का 'सफाया' करना चाहते हैं और चीन से टकराना चाहते हैं तो चर्चे स्वाभाविक हैं।

यदि रामास्वामी की ये यारी बातें संवैधानिक निहितार्थों के साथ विचित्र लगती और ढेर सारे सवाल खड़े करती हैं तो वास्तव में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ये बातें रिपब्लिकन पार्टी के आधार के साथ प्रतिध्वनित होती हैं। ठीक उसी तरह जैसे डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 में किया था जब उन्होंने अधिकांश मैक्सिकन अवैध अप्रवासियों को बलात्कारी घोषित किया था और साथ ही कहा था कि कुछ लोग अच्छे भी हैं।

जो परिदृश्य है उसे देख ऐसा लगता है कि 37 वर्षीय रामास्वामी धीरे-धीरे जनमत सर्वेक्षणों में आगे बढ़ रहे हैं। यानी स्वामी की बातें कहीं जेहन में उतर रही हैं। वह वर्तमान में न्यू हैम्पशायर में प्रभावशाली 5 प्रतिशत पर हैं। हैम्पशायर GOP (ग्रैंड ओल्ड पार्टी) प्राइमरी आयोजित करने वाला पहला राज्य है। राष्ट्रीय स्तर पर वह 4 प्रतिशत पर हैं।

ऐसे में सवाल यह भी है कि राजनीतिक रूप से नौसिखिये स्वामी को सियासत के बड़े मैदान में कौन सी चर्चित कर रही हैं। पहली बात तो यही है कि अधिकांश आकांक्षी ट्रम्प को पछाड़ने की बात कर रहे हैं जबकि उनकी झोली में कोई प्रभावशाली चीज देने लायक नहीं है। ऐसे में स्वामी ट्रम्प के अमेरिका फर्स्ट एजेंडा को उठाते हैं। लगता है कि अमेरिका वालों को यह बात कुछ रास आई। लेकिन साथ ही स्वामी विनम्र भाव से ट्रम्प पर हमला भी करते हैं जब वह कहते हैं कि उन्होंने पूर्णता के साथ अपने एजेंडा पर काम नहीं किया।

स्वामी का कहना है कि मैं अमेरिका फर्स्ट एजेंडा को उस जगह से भी आगे ले जाना चाहता हूं जहां ट्रम्प कभी पहुंचे ही नहीं। न्यू हैम्पशायर में एक चुनावी सभा के दौरान स्वामी ने यह बात कही। अब देखना यह है कि अपने दावों और बातों के साथ स्वामी इस जंग में कहां तक टिक पाते हैं क्योंकि मैदान मारने की बात करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।

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