भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल स्थित महात्मा बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में पूजा-अर्चना की और एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर से नेपाल के लोगों में भी खुशी का माहौल है। प्रधानमंत्री ने अपने इस एक दिवसीय दौरे पर नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात कर विकास की छह महत्वपूर्ण योजनाओं को अमली जामा पहनाने की शुरुआत भी की। लगता है पीएम मोदी को अपने पड़ोसी देश नेपाल से विशेष प्रेम है। साल 2014 में पीएम बनने के बाद यह उनका पांचवीं बार नेपाल का दौरा है।
Beginning the Nepal visit with prayers at the sacred Maya Devi Temple, Lumbini. pic.twitter.com/M1YZZhdyTH
— PMO India (@PMOIndia) May 16, 2022
प्रधानमंत्री मोदी की विशेषता यह है कि वह प्रतीकों के माध्यम से अर्थपूर्ण संदेश देने में माहिर हैं। इसी के चलते उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर नेपाल स्थित भगवान बुद्ध की जन्मस्थली पर पूजा-अर्चना की और भगवान श्रीराम को लेकर संदेश भी छोड़ दिया। उन्होंने वहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैं जानता हूं कि आज जब भारत में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन रहा है तो नेपाल के लोग भी उतने ही खुश हैं।’ उन्होंने भगवान बुद्ध को ‘मानवता के सामूहिक बोध का अवतरण’बताया।

ऐसा माना जा रहा है कि शांति का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध के साथ वीरता, आदर्श और मर्यादा के प्रतीक श्रीराम का वर्णन कर पीएम मोदी कुछ अलग ही संदेश देना चाहते हैं। असल में नेपाल पड़ोसी देश होने के नाते भारत का सांस्कृतिक साझेदार भी रहा है। हालांकि बीते कुछ वर्षों में अलग-अलग सरकारों के दौर में नेपाल की चीन से भी करीबी बढ़ी है, लेकिन नेपाल में पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद भारत से उसकी घनिष्टता बढ़ी है, इसलिए इस असर को बनाए रखने और सांस्कृतिक एकता का संदेश देने के लिए पीएम मोदी ने यह अवसर चुना है और उसमें वह सफल भी हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें भारत और नेपाल की निरंतर मजबूत होती मित्रता, हमारी घनिष्ठता, संपूर्ण मानवता के हित का काम करेगी।

लुंबिनी पहुंचने पर पीएम मोदी ने वहां के माया देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की। उनके साथ देश के पीएम शेर बहादुर देउबा भी थे। इसके बाद मोदी और देउबा ने लुंबिनी बौद्ध विहार क्षेत्र में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर फॉर बौद्ध कल्चर एंड हेरिटेज (भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति और विरासत केंद्र) के निर्माण कार्य की आधारशिला भी रखी।
भारत के प्रधानमंत्री की यह विशेषता है कि वह जिस भी देश में जाते हैं, उससे भारत के साथ भावात्मक संबंध तो जोड़ते ही हैं, साथ ही व्यावहारिक सोच के चलते ‘कारोबार’ की बातें भी करते हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी में नए क्षेत्रों को तलाशने तथा मौजूदा सहयोग को मजबूत बनाने के सभी आयामों पर चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच बैठक के बाद सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने, शिक्षा क्षेत्र में सहयोग एवं पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर छह समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने लुंबिनी में भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात भी की। भारतीय लोगों में गजब का उत्साह देखने को मिला। भारतीय लोग 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय के नारे' लगा रहे थे। अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि नेपाल की उनकी यात्रा का उद्देश्य ‘समय की कसौटी पर खरे’ उतरे दोनों देशों के संबंधों को और गहरा करना है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष जलविद्युत, विकास और संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने को लेकर बनी समझ को आगे बढ़ाएंगे।