मेलबर्न में नगर कीर्तन निकाल रहे भारतीय ऑस्ट्रेलियाई समुदाय के लोग उस समय सहम गए जब उनके बीच खालिस्तानी झंडे लहराए जाने लगे। पदयात्रा के दौरान खालिस्तानी किताबें और टी-शर्ट भी बांटी गईं। नगर कीर्तन का आयोजन 19 नवंबर को विक्टोरियन सिख गुरुद्वारा परिषद ने किया था। इस आयोजन के लिए कथित तौर पर विक्टोरिया सरकार ने भी अनुदान दिया था।
27 साल से मेलबर्न में रहने वाली सुखजीत कौर (71) ने मीडिया से कहा कि मुझे लगता था कि मेलबर्न शहर में गुरुद्वारों के बीच रहकर सबकुछ अच्छा होगा लेकिन खालिस्तान समर्थक इसमें खलल डाल रहे हैं। मुझे तो लगा था कि खालिस्तानी आतंकवाद की काली यादें पीछे छूट गई हैं, मगर शनिवार को अहसास हुआ कि हम एक बार फिर से उसी दर्दनाक और बुरे दौर के मुहाने पर हैं।
उन्होंने कहा कि एक बच्चा जिसके दादा की हत्या खालिस्तानी आतंकियों ने की थी, उसके हाथ में खालिस्तानी झंडा थमा दिया गया। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी प्रताड़ना थी। नगर कीर्तन के दौरान जैसे ही मेरी पांच साल की पोती के हाथ में खालिस्तानी झंडा दिया गया तो मानो मेरा खून जम गया।
गुरु नानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर 2019 में गुरुद्वारा परिषद की ओर से सामुदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता के लिए पदयात्रा का आयोजन किया गया था। अब कोरोना महामारी के दौरान दो साल के बाद परिषद की ओर से यह पहला बड़ा आयोजन किया गया था जिसमें खालिस्तानियों ने खलल डाल दिया।
इस चुनावी वर्ष में विक्टोरियन सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर डैन एंड्रयू सिख समुदाय का समर्थन करने के लिए खुद आए थे। उन्होंने एक बड़े अनुदान की घोषणा भी की थी। लेकिन इस आयोजन के जरिए खालिस्तानी आतंकवाद की काली छाया ने फिर से दस्तक दे दी।