सर्दियों में छह महीने की लंबी छुट्टी के बाद अब भारत में धार्मिक पर्यटन का समय है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अप्रैल में शुरू होगी। इसी माह चारों धाम यानी केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री आमजन के लिए खुल जाएंगे। सालाना चारधाम यात्रा की आधिकारिक शुरुआत अक्षय तृतीया (22 अप्रैल) से होगी। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पोर्टल भी इसी दिन खुलेंगे। आमजन के लिए केदारनाथ के द्वार 25 अप्रैल को सवेरे 6.20 पर खुल जाएंगे जबकि बदरीनाथ धाम 27 अप्रैल को खुलेगा।

भारत के हिंदुओं में चारधाम यात्रा का बड़ा महत्व है। धार्मिक और आस्थावान लोगों के लिए यह एक प्रमुख तीर्थ-यात्रा है जो उत्तराखंड की पहाड़ियों में होती है। चार धामों में से तीसरे धाम केदारनाथ की गुफा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यात्रा का अंतिम पड़ाव चमोली जिले में पड़ता है जहां बदरीनाथ धाम है। चारों धामों में तीर्थ यात्री कुल मिलाकर 1607 किलोमीटर की यात्रा करते हैं।
इस साल की चारधाम यात्रा कई चुनौतियां लेकर आई है। सबसे बड़ी और खतरनाक चुनौती जोशीमठ की है जहां पिछले दिनों भूस्खलन के साथ ही जमीन में दरारें पड़ गईं। जोशीमठ को बदरीनाथ का प्रवेशद्वार माना जाता है। हाल ही में जोशीमठ शहर और उसके आसपास के इलाकों में खतरनाक दरारें देखी गईं।
जोशीमठ के घरों, सड़कों और मैदानों में बड़ी दरारें देखने के बाद स्थानीय लोगों में तो डर का माहौल है ही, सैलानी भी उस क्षेत्र की ओर जाने से कतरा रहे हैं। घरों में दरारों के कारण सरकार को कई लोगों को वहां से कहीं और स्थानांतरित करना पड़ा।
हाल में आई कुछ खबरों के अनुसार जोशीमठ के पास बदरीनाथ हाईवे पर नई दरारें देखने को मिली हैं। चारधाम यात्रा के लिए अधिकारियों ने जोशीमठ मार्ग का उपयोग करने का निर्णय लिया है। लेकिन इसी बीच उत्तराखंड राज्य सरकार ने तीर्थयात्रियों को आश्वस्त किया है कि वर्तमान भूवैज्ञानिक समस्या चारधाम यात्रा में बाधा नहीं बनेगी।
सरकार का तीर्थयात्रियों को आश्वस्त करना अपनी जगह है लेकिन इतना अवश्य कहा जा सकता है कि भूकंप के लिहाज से पहाड़ संवेदनशील हैं और अब भूस्खलन और दरारों ने सामान्य सैलानियों के मन में भय पैदा किया है।