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अल्पसंख्यकों के कथित दमन के लिए भारत के खिलाफ प्रतिबंध की मांग

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) भारत सरकार की आलोचना करता रहा है और 2020 से हर साल इस पर प्रतिबंधों की सिफारिश करता रहा है।

विदेश विभाग ने USCIRF की यह मांग खारिज कर दी है। Image : USCIRF

धार्मिक स्वतंत्रता पर एक अमेरिकी एजेंसी ने अल्पसंख्यकों के कथित दमन के लिए भारत के खिलाफ प्रतिबंध की मांग की है। एजेंसी ने विदेश विभाग से कथित तौर पर 'धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से वकालत करने वालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लक्षित करने में वृद्धि' के लिए भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है।

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) भारत सरकार की आलोचना करता रहा है और 2020 से हर साल इस पर प्रतिबंधों की सिफारिश करता रहा है। हालांकि विदेश विभाग ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।

USCIRF ने 15 दिसंबर को कहा कि वह 'भारत द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनकी ओर से वकालत करने वालों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निशाना बनाने की घटनाओं से चिंतित है।' आयोग ने कहा कि विदेशों में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों को चुप कराने के भारत सरकार के हालिया प्रयास धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा हैं। USCIRF ने अमेरिकी विदेश विभाग से भारत को विशेष चिंता का देश (CPC)) नामित करने का आग्रह किया है।

USCIRF आयुक्त स्टीफन श्नेक ने कहा कि कनाडा में सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की कथित संलिप्तता और संयुक्त राज्य अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश बेहद परेशान करने वाला मामला है और यह अपने देश और विदेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों और मानवाधिकार रक्षकों को चुप कराने के भारत के प्रयासों में गंभीर वृद्धि को दर्शाता है।

USCIRF ने कहा कि हम बाइडन प्रशासन से भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से गंभीर धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन के अपराध को स्वीकार करने और इसे विशेष चिंता वाले देश (CPC) के रूप में नामित करने का आह्वान करते हैं। आयोग ने आरोप लगाया कि भारतीय अधिकारियों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की ओर से वकालत करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने और डराने-धमकाने के लिए स्पाइवेयर और ऑनलाइन उत्पीड़न अभियानों का इस्तेमाल किया है।

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