अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन (सीडीसी) ने भारत की एक कंपनी के बनाए आईड्रॉप पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसकी वजह से अमेरिकी नागरिकों में अंधेपन और मौत का खतरा बढ़ रहा है। सीडीसी ने हाल के महीनों में तीन लोगों की मौत और आठ लोगों की आंखों की रोशनी जाने के पीछे इसी आईड्रॉप को जिम्मेदार बताया है। हालांकि भारतीय संस्था ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि उसके उत्पादों में कोई मिलावट नहीं है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने सीडीसी के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में चेन्नई की कंपनी ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर द्वारा बनाए गए EzriCare आर्टिफिशियल टियर्स और इन्फेक्शन फैला रहे बैक्टीरिया Pseudomonas aeruginosa के बीच सीधा संबंध पाया गया है। यह बैक्टीरिया इतना खतरनाक है कि इस पर दवाओं का भी असर नहीं हो रहा है।
सीडीसी ने इस बैक्टीरिया के अमेरिका में फैलने की आशंका जताई है। उसने कनेक्टिकट केयर सेंटर में कुछ रोगियों के अंदर इस बैक्टीरिया के पनपने का दावा किया है। उसका कहना है कि इस बैक्टीरिया में अन्य लोगों को भी चपेट में लेने के लक्षण दिखे हैं। सीडीसी का कहना है कि ये बैक्टीरिया संक्रमित मरीजों द्वारा इस्तेमाल की गई चीजों को छूने से फैल सकता है।
बता दें कि फरवरी में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने लोगों से EzriCare आर्टिफिशियल टियर्स और डेलसम फार्मा के बनाए आर्टिफिशियल टियर्स आइड्रॉप को न खरीदने की अपील की थी। एफडीए के इस कदम के बाद भारत सरकार और तमिलनाडु सरकार के ड्रग इंस्पेक्टरों ने चेन्नई की ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर कंपनी में जाकर दवाओं के सैंपल जांच के लिए उठाए थे।
अब मीडिया रिपोर्ट्स में भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के आईड्रॉप स्टैंडर्ड क्वालिटी के हैं। हालांकि कोई खतरा न उठाते हुए फार्मा कंपनी से इन आईड्रॉप्स का उत्पादन बंद करने के लिए कह दिया गया है। खबरों में मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी कहा कि यूएस एफडीए अमेरिका का ड्रग रेगुलेटर है न कि सीडीसी। यूएस एफडीए ने अभी तक इन आर्टिफिशियल टीयर्स उत्पादों के बारे में कुछ नहीं कहा है और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को उसके जवाब का इंतजार है।
यह तीसरी ऐसी घटना है जिसमें किसी भारतीय दवा उत्पाद पर सवाल उठे हैं। पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर भारतीय कंपनी मेडेन फार्मा के कफ सिरप के कारण करीब 70 बच्चों की मौत की सूचना आई थी। इसी तरह दिल्ली की मैरियन बायोटेक कंपनी की बनी खांसी की दवाई पीने से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का आरोप लगा था।