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फंसे एलन मस्क, ट्विटर के पूर्व CEO पराग अग्रवाल ने मांगा $1 मिलियन हर्जाना

एलन मस्क ने पिछले साल अक्टूबर के अंत में $44 अरब में ट्विटर के अधिग्रहण के बाद तत्कालीन सीईओ पराग अग्रवाल, मुख्य कानूनी अधिकारी विजया गड्डे और मुख्य वित्तीय अधिकारी नेड सेगल को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कंपनी भारी पैमाने पर छंटनी करके अपने अधिकतर कर्मचारियों को निकाल चुकी है।

पराग अग्रवाल और एलन मस्क

ट्विटर के सीईओ पद से पिछले साल बर्खास्त किए गए भारतीय मूल के पराग अग्रवाल और दो अन्य पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने एलन मस्क के खिलाफ मुकदमा कर दिया है। पराग अग्रवाल के अलावा कानूनी मामलों के प्रमुख रहे विजया गड्डे और पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी नेड सहगल ने एलन मस्क से एक मिलियन डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) का बकाया और हर्जाने का भुगतान करने को कहा है।

Photo by Nathan Dumlao / Unsplash

तीनों पूर्व अधिकारियों का कहना है कि ट्विटर में उनकी नौकरी के दौरान उन्हें जो मुकदमेबाजी, जांच और कांग्रेस की पूछताछ झेलनी पड़ी, उसके लिए उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए। नियमों और समझौतों के हिसाब से ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क उन्हें यह रकम देने के लिए बाध्य हैं लेकिन अभी तक कंपनी ने यह स्वीकार करने से ज्यादा कुछ नहीं किया है कि उसे उनके बिल मिल गए हैं।

कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में अमेरिकी प्रतिभूति व विनिमय आयोग (SEC) और न्याय विभाग (DOJ) की पूछताछ से संबंधित कई खर्चों का भी जिक्र किया गया है। लेकिन इसमें यह विवरण नहीं दिया गया है कि जांच की प्रकृति क्या थी और क्या अभी भी जांच चल रही है। SEC इस बात की जांच कर रहा है कि क्या एलन मस्क ने ट्विटर के शेयरों को जमा करते हुए प्रतिभूति नियमों का पालन किया? पराग अग्रवाल और नेड सहगल ने पिछले साल SEC में गवाही दी थी। सरकारी अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत अब भी जारी बताई गई है।

गौरतलब है कि एलन मस्क ने पिछले साल अक्टूबर के अंत में $44 अरब में ट्विटर के अधिग्रहण के बाद तत्कालीन सीईओ पराग अग्रवाल, मुख्य कानूनी अधिकारी विजया गड्डे और मुख्य वित्तीय अधिकारी नेड सेगल को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। कंपनी भारी पैमाने पर छंटनी करके अपने अधिकतर कर्मचारियों को निकाल चुकी है।

पिछले हफ्ते ट्विटर के खिलाफ मुकदमा दायर करके बिना नोटिस दिए ही कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों की छंटनी करने का आरोप लगाया गया है। ये क्लास एक्शन सूट सैन फ्रांसिस्को फेडरल कोर्ट में दाखिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका और कैलिफॉर्निया के कानूनों के अनुसार कर्मचारियों को निकालने से पहले 60 दिन का नोटिस देना होता है। लेकिन ट्विटर ने इस नियम का पालन नहीं किया।

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