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टिकटॉक के CEO की US कांग्रेस के सामने पेशी, बैन न करने के लिए दीं दलीलें

अमेरिका में संसद की एनर्जी एंड कॉमर्स कमेटी ने टिकटॉक के सीईओ शाउ जी च्यू से पहली बार पूछताछ की जो कि करीब चार घंटे तक चली। इस दौरान च्यू ने जोर देकर कहा कि टिकटॉक ऐप का डेटा चीनी सरकार के साथ साझा नहीं किया जाता है।

टिकटॉक के सीईओ शाउ च्यू। (फोटो facebook@Dandecosta)

टिकटॉक के सीईओ शाउ जी च्यू गुरुवार को पहली बार अमेरिकी कांग्रेस के सामने पेश हुए। चीनी सरकार से डेटा साझा करने का मामला सामने आने के बाद अमेरिका में संसद की एनर्जी एंड कॉमर्स कमेटी ने उनसे सवाल जवाब किया। लगभग चार घंटे तक चली पूछताछ में च्यू ने इस बात पर जोर दिया कि चीनी आईटी कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाला टिकटॉक ऐप अपना डेटा चीनी सरकार के साथ साझा नहीं करता है।

च्यू ने कहा कि अमेरिका में टिकटॉक के 150 मिलियन (15 करोड़) यूजर्स हैं, जिनका डेटा बिलकुल सुरक्षित है। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के साथ इनका डेटा शेयर नहीं किया जाता। अमेरिकी सांसद डेबी लेस्को ने भारत और अन्य देशों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने किसी न किसी रूप में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगया है। यह (टिकटॉक) एक टूल है जो चीनी सरकार के नियंत्रण में है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता की बात है। ये सभी देश और हमारे एफबीआई निदेशक गलत हो सकते हैं?

च्यू ने अपने जवाब में कहा, मुझे लगता है कि बताए गए बहुत सारे जोखिम काल्पनिक और सैद्धांतिक हैं। मैंने इसका कहीं कोई सबूत नहीं देखा है। यह एक हालिया लेख है। मैंने अपनी टीम को इसे देखने के लिए कहा है। हमारे पास मजबूत डेटा एक्सेस प्रोटोकॉल हैं। ऐसी कोई चीज नहीं है कि कोई भी टूल तक पहुंच सके। लिहाजा मैं बहुत सारे निष्कर्षों से असहमत हूं।

फ्लोरिडा की संसदीय प्रतिनिधि कैट कैममैक ने एक धमकी भरा वीडियो चलाने के बाद टिकटॉक के सीईओ च्यू को बताया कि इस वीडियों को पोस्ट किए एक महीने से अधिक समय हो गया है। रिपब्लिकन प्रतिनिधि कैथी मैकमोरिस रॉजर्स के पूछे गए सवाल के जवाब में टिकटॉक के प्रमुख शत प्रतिशत गारंटी देने में असमर्थ नजर आए।

बता दें कि भारत ने गोपनीयता और सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए 2020 में मैसेजिंग ऐप वीचैट, टिकटॉक और दर्जनों अन्य चीनी ऐप्स को पूरे देश में प्रतिबंधित कर दिया था। यह प्रतिबंध सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के तुरंत बाद आया था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे और दर्जनों घायल हो गए थे। कंपनियों को गोपनीयता और सुरक्षा आवश्यकताओं पर सवालों का जवाब देने का मौका दिया गया था। अंत में जनवरी 2021 में स्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया।

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