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आने वाले समय में बर्बाद हो जाएंगे दुनिया के ये 50 राज्य! जानें वजह

एक्सडीआई ने दुनिया के 2,600 राज्यों और प्रांतों को कवर करते हुए यह रिपोर्ट तैयार की है। सूची में 80 प्रतिशत राज्य भारत, चीन व अमेरिका के हैं। चीन के 26 प्रांतों के बाद सर्वाधिक नौ राज्य भारत के हैं। अमेरिका के पांच राज्यों को सबसे ज्यादा जोखिम वाले इलाकों में शुमार किया गया है।

(सांकेतिक तस्वीर)

दुनिया में 50 राज्यों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। इनमें से अधिकतर चीन, अमेरिका और भारत में हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठन क्रॉस डिपेंडेंसी इनीशिएटिव (एक्सडीआई) ने साल 2050 तक जलवायु परिवर्तन के जोखिम वाले सबसे अधिक संवेदनशील 50 राज्यों की सूची तैयार की है। इसमें भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब सहित नौ राज्य शामिल हैं।

एक्सडीआई ने दुनिया के 2,600 राज्यों और प्रांतों को कवर करते हुए यह रिपोर्ट तैयार की है। सूची में 80 प्रतिशत राज्य भारत, चीन व अमेरिका के हैं। चीन के 26 प्रांतों के बाद सर्वाधिक नौ राज्य भारत के हैं। अमेरिका के पांच राज्यों को सबसे ज्यादा जोखिम वाले इलाकों में शुमार किया गया है। इनके अलावा इंडोनेशिया और ब्राजील के तीन-तीन, पाकिस्तान के दो और अफगानिस्तान का एक राज्य भी इस लिस्ट में हैं। एक्सडीआई की सूची के अनुसार, वर्ष 2050 में 200 में से 114 जोखिम वाले प्रांत एशिया के ही हैं।

Every spring the Mississippi River floods, but the downtown area of Davenport Iowa refuses to build a levee system to hold the waters back. It would block the river view. Some years the waters come several blocks up the banks and flood out local businesses.
मेरिका में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा सबसे ज्यादा जोखिम वाले राज्यों की लिस्ट में रखे गए हैं। Photo by Kelly Sikkema / Unsplash

भारतीय राज्यों की बात करें तो सबसे ज्यादा संवेदनशील राज्यों में पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, गुजरात,केरल और असम में मानव निर्मित ढांचे को जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई हाई रिस्क वाले शहरों में शुमार है। अमेरिका में आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा सबसे ज्यादा जोखिम वाले राज्यों की लिस्ट में रखे गए हैं।

समूह का दावा है कि यह पहली बार है, जब दुनिया के हर राज्य, प्रांत और क्षेत्र की तुलना में विशेष रूप से निर्मित पर्यावरण पर केंद्रित भौतिक जलवायु जोखिम का विश्लेषण किया गया है। एक्सडीआई ने राज्यों में तटवर्ती क्षेत्रों व मैदानी इलाकों में बाढ़, समुद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी, अत्यधिक गर्मी, जंगल की आग, सूखे के कारण मिट्टी का क्षरण, अत्यधिक तेज हवा व बर्फीले तूफान से इमारतों और संपत्ति को नुकसान के अनुमानों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।

एक्सडीआई के सीईओ रोहन हम्देन ने बताया कि अगर जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के चरम  हालत बने तो क्षति और जोखिम के लिहाज से सबसे ज्यादा नुकसान एशियाई क्षेत्र को होगा। अगर जलवायु परिवर्तन को बदतर होने से रोकने के लिए सतत निवेश में इजाफा किया गया तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भी एशियाई देशों को ही मिलेगा।

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