भारतीय वैज्ञानिकों ने एक बार फिर देश का नाम अंतरराष्ट्रीय फलक पर रोशन किया है। तीन भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत में खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और स्वास्थ्य देखभाल में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हल करने के उद्देश्य से पहला टाटा परिवर्तन पुरस्कार जीता है।

टाटा संस और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 7 नवंबर को मुंबई में भारत में महत्वपूर्ण सामाजिक चुनौतियों के लिए अभिनव समाधान विकसित करने वाले दूरदर्शी वैज्ञानिकों को मान्यता देने और उनका समर्थन करने वाले पुरस्कार के पहले विजेताओं की घोषणा की।
वर्ष 2023 टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार विजेता हैं...
· खाद्य सुरक्षा : शिल्पी शर्मा, पीएचडी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
· सस्टेनेबिलिटी : पूर्णानंद गुप्तासरमा, पीएचडी, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान मोहाली
· हेल्थकेयर : अनुराग सिंह राठौड़, पीएचडी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली
टाटा ट्रांसफॉर्मेशन पुरस्कार की स्थापना 2022 में टाटा संस और द न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा भारत की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने वाली नवीन प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने के लिए की गई थी।
मीडिया से साझा की गई जानकारी के अनुसार खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और स्वास्थ्य देखभाल में नवाचारों के लिए प्रसिद्ध विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय जूरी द्वारा 169 प्रविष्टियों में से इन तीन वैज्ञानिकों का चयन किया गया। प्रत्येक विजेता को 240,000 डॉलर की राशि मिलेगी और इन्हे दिसंबर 2023 में मुंबई में एक समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
जूरी में आईबीएम रिसर्च, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंगलोर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया और यूएन हैबिटाट सहित विभिन्न संगठनों के छह महाद्वीपों के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, चिकित्सक, प्रौद्योगिकीविद् और इंजीनियर शामिल थे।
टाटा संस के बोर्ड अध्यक्ष एन.चंद्रशेखरन और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के अध्यक्ष और सीईओ निकोलस डर्क्स ने सभी विजेताओं को बधाई दी।