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भारत का यह कानून महिलाओं को और ‘मजबूत’ बनाने में कारगर होगा

भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस बिल को मंजूरी दी है। उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस बिल को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जिसके बाद इस अब यह बिल आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाएगा। यानी अब इसे कानूनी दर्जा मिल चुका है।

Photo by Deepak kumar / Unsplash

भारत ने महिला सशक्तिकरण की ओर एक मजबूत कदम बढ़ा लिया है। अब लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में देश की महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण मिल गया है। इसका अर्थ यह है कि अब कानूनन लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों को रिजर्व किया जाएगा, ताकि वहां से महिलाएं चुनाव लड़कर अपनी आवाज बुलंद कर सकें। यह एक ऐसा कानून है, जिसे संसद में पारित करने के लिए पक्ष-विपक्ष ने सर्वसहमति जाहिर की है।

पिछले दिनों लंबी बहस के बाद संसद दो दोनों सदनों लोकसभा व राज्यसभा में यह बिल आसानी से पारित हो गया था। पिछले कई सालों से अटका हुआ था। कांग्रेस सरकार के वक्त तो यह बिल राज्यसभा में पारित हो गया था लेकिन कुछ राजनैतिक दलों के विरोध के कारण यह बिल लोकसभा में पास नहीं हो पाया। अब भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद का विशेष सेशन बुलाकर आसानी से इस महिला आरक्षण बिल को लागू करवा दिया है। अब इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से जाना जाएगा। सरकार का मानना है कि वह महिलाओं को आगे लाकर उन पर कोई अहसास नहीं कर रहे हैं, उनमें पहले से ही शक्ति मौजूद है और यह बिल उनमें सशक्तिकरण को और बढ़ाएगा।

भारत की राष्ट्रपति ने महिलाआरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है। 

भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस बिल को मंजूरी दी है। उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस बिल को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, जिसके बाद इस अब यह बिल आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाएगा। यानी अब इसे कानूनी दर्जा मिल चुका है। बताते चलें कि भारत की निगमों व पंचायतों में भी महिलाओं को आरक्षण हासिल है। वैसे राष्ट्रपति द्वारा इस बिल का पारित करने के बाद महिला आरक्षण को लागू होने में अभी करीब पांच वर्ष का समय लग सकता है। इसे अब भी दो बड़े सिस्टम से पार पाना होगा, ताकि यह मजबूती से लागू हो सके। इनमें पहला देश की जनगणना और दूसरा परिसीमन शामिल है। ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2029 के लोकसभा के चुनाव में यह लागू हो सकता है।

असल में यह बिल परिपक्व तौर पर तब ही लागू हो पाएगा, जब यह पता चल जाए कि भारत की जनगणनों में महिलाओं की संख्या का प्रतिशत कितना है, दूसरा इसे लागू करने के लिए परिसीमन (Delimitation) भी आवश्यक है। उसका कारण यह है कि जिन लोकसभा या विधानसभा सीटों में महिला वोटरों की संख्या अधिक होगी, वहां की सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। इससे किसी तरह का आरोप न तो सरकार पर लगेगा और न ही उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर। विपक्ष इस बिल को तुरंत लागू करने की मांग कर रहा है, लेकिन वह भी जानता है कि महिलाओं की जनसंख्या व परिसीमन के बिना इस बिल को लागू किया गया तो भविष्य में बड़ी गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं।

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