गृहयुद्ध से प्रभावित सूडान से 1360 भारतीयों को भारत वापस लाया जा चुका है। भारतीय सेना 'ऑपरेशन कावेरी' के तहत किस हद तक साहसिक कदम उठा रही है, इस बात का अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि भारतीय वायुसेना ने 27 अप्रैल की रात सूडान की आधी-अधूरी छोटी हवाई पट्टी पर विमान को सुरक्षित उतारा और 121 भारतीयों को बचाने का काम किया।

भारतीय वायुसेना ने अपने C-130J हरक्यूलिस परिवहन विमान को एक हवाई पट्टी पर उतारा जो खराब स्थिति में थी। न तो वहां कोई नेविगेशनल एप्रोच सहायता थी, न ईंधन और न ही लैंडिंग लाइट थी जो रात में विमान को उतारने के लिए पायलट का मार्गदर्शन करने के लिए जरूरी होती है। यह हवाई पट्टी सूडान के वाडी सैय्यदना में है, जो सूडान के हिंसा प्रभावित खार्तूम से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर में है। भारतीय वायुसेना को अपना C-130J इसलिए उतारना पड़ा क्योंकि यहां फंसे भारतीयों के पास सूडान बंदरगाह तक पहुंचने का कोई साधन नहीं था।

सफल लैडिंग हो सके इसके लिए भारतीय वायुसेना के पायलटों ने रात में नाइट विजन गॉगल्स का भी इस्तेमाल किया। हवाई पट्टी के निकट आने के दौरान एयरक्रू ने अपने इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रा-रेड सेंसर का उपयोग करते हुए यह सुनिश्चित किया कि छोटे रनवे पर कोई बाधा न हो। रनवे साफ है यह सुनिश्चित करने के बाद भारतीय वायुसेना के साहसी पायलटों ने सामरिक दृष्टिकोण अपनाया। लैंडिंग के बाद विमान के इंजन चलते रहे।
वायुसेना की विशेष बल इकाई के आठ गरुड़ कमांडो विमान से उतरे और सबसे पहले यात्रियों को सुरक्षित किया। इतना ही नहीं भारतीयों के सामान की सुरक्षित बोर्डिंग भी सुनिश्चित की। भारतीयों को सुरक्षित लेने के बाद इस अंधेरी हवाई पट्टी से बिना किसी गलती के पायलटों ने नाइट विजन गॉगल्स का उपयोग करते हुए टेक-ऑफ भी किया।
बता दें कि वाडी सैय्यदना और जेद्दाह के बीच ढाई घंटे का ऑपरेशन काबुल में किए गए ऑपरेशन के समान है। मानवीय संकट के दौरान किया गया यह साहसी ऑपरेशन भी भारतीय वायु सेना से जुड़े इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है।