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मीडिल ईस्ट में दहशत अब सामने आने लगी है

हमास के इन हमलों का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है जिसमें सबसे पहले यह पता लगाया जा रहा है कि खुफिया जानकारी कैसे विफल हो सकती है। खासकर मोसाद जिसे दुनिया की नंबर एक एजेंसी के रूप में देखा जाता है।

7 अक्टूबर 2023 को इतिहास में 11 सितंबर 2001 की पुनरावृत्ति के रूप में नहीं तो उस कम भी नहीं इस दिन को जाना जाएगा। 9/11 को अल कायदा के नेतृत्व में आतंकवादियों के एक समूह ने अमेरिका पर मौत का तांडव खेला था जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था। उस हमले में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में एक ही झटके में लगभग 3000 लोग मारे गए थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में हमास नामक एक आतंकवादी संगठन जिसे कभी-कभी फिलिस्तीनी लोगों की आवाज कहा जाता है, ने इजराइल की सड़कों पर आतंक फैलाया। संगठन ने एक संगीत समारोह में भाग लेने वाले 260 लोगों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी। ये घृणित कार्य केवल बीमार दिमाग वाले ही कर सकते हैं।

हमास के सुनियोजित हमले ने दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया, विशेषकर यहूदी देश इजराइल को जो सात दशकों से अधिक समय से बाहरी आतंकवाद और हिंसा का सामना कर रहा है। हमास के इन हमलों का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है जिसमें सबसे पहले यह पता लगाया जा रहा है कि खुफिया जानकारी कैसे विफल हो सकती है। खासकर मोसाद जिसे दुनिया की नंबर एक एजेंसी के रूप में देखा जाता है।

और एक गंभीर बात यह है कि जो एजेंसियां राजनीतिक योजना से बाहर हैं वे कभी-कभी राजनीतिक तकरार, अंदरूनी कलह और गंभीर संकट के खंडित संदेशों का शिकार होती हैं। यह एक संदेश है जिसे भारत समेत अन्य लोकतांत्रिक समाजों को गंभीरता से लेना चाहिए।

खैर, संघर्ष की प्रमुख वजह को जांचने में तो वक्त लगेगा लेकिन इस बीच मीडिल ईस्ट और पूरी दुनिया एक और पूर्ण पैमाने पर संघर्ष का गवाह बन रही है जिसके विस्तार और बढ़ने के सभी संकेत दिख रहे हैं।

प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जो कहते हैं उसके हर शब्द का अर्थ है। उन्होंने कहा कि "आपने शुरू किया और मैं खत्म करूंगा" और इस संदर्भ में आनुपातिकता का नियम उस नेता के लिए बहुत कम मायने रखता है जो हमास का सफाया करने के लिए उत्सुक है। भले ही इसके लिए क्षेत्र का नक्शा फिर से बनाना पड़े। तेल अवीव की असंगत प्रतिक्रिया से उन लोगों को भी झटका लगा है जो इसराइल के पक्ष में हैं।

7 अक्टूबर को यहूदियों के पवित्र दिवस पर हमास का यह हैरानी से भरा हमला बिल्कुल 50 साल पहले 1973 के योम किप्पुर युद्ध की याद दिलाता है जब मिस्र और सीरियाई लोगों ने इजराइलियों को इस कसम दिलाने के लिए मजबूर कर दिया था कि वह इसे कभी दोहराने नहीं देगा।

बीते कुछ दिनों में संकेत मिल रहे हैं कि यह एक बेहद गोपनीय ऑपरेशन था जिसकी महीनों तक योजना बनाई गई थी और लगभग बाहरी मदद के बिना ही इसे अंजाम दिया गया था। लेकिन इसमें ईरान का हाथ देखना आकर्षक है। दरअसल ईरान एक ऐसा देश जिसने क्षेत्र में अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए लगातार हमास और हिजबुल्लाह जैसे सशस्त्र संगठनों को बढ़ावा दिया है। हालांकि हमास के हमले की सराहना करते हुए भी तेहरान ने किसी भी संलिप्तता से इंकार किया है।

हमास को खत्म करने के अपने उद्देश्य में प्रधानमंत्री नेतन्याहू को व्यापक तस्वीर को ध्यान में रखना होगा। यह स्पष्ट है कि हमास इजराइल, सऊदी अरब और अन्य अरब देशों के बीच सामान्यीकरण प्रक्रिया को बाधित करना चाहता था लेकिन योजनाबद्ध जमीनी आक्रमण सहित गाजा नागरिकों के खिलाफ बल का अंधाधुंध उपयोग बेहतर तरीका है?

आतंकवादी निर्दोष नागरिकों की हत्या करके प्रचार चाहते हैं और कायर यह जानते हुए भी आम लोगों के बीच छिप जाते हैं कि बम और गोलियों से कोई फर्क नहीं पड़ता। संकट की शुरुआत में ही बंधकों को क्यों लिया जाता है और इजराइली विमानों द्वारा उड़ाई गई हर इमारत के साथ उन्हें मारने की धमकी क्यों दी जाती है? यहीं पर इजराइली नेताओं को बहकावे में न आने के प्रति सावधान रहना चाहिए।

• वर्तमान में न्यू इंडिया अब्रॉड के प्रधान संपादक, लेखक वाशिंगटन डीसी में द हिंदू के विशेष संवाददाता थे, जो उत्तरी अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र को कवर करते थे।

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