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भारत का वो जिला जो दुनिया में 'प्रदूषण से मुक्ति' के लिए बन रहा है मिसाल

केरल के इस जिले में ‘नल्ला नाडु, नल्ला मन्नू’ नाम का एक अभियान चलाया गया था। इसका हिंदी में अर्थ है कि अच्छी मिट्टी के साथ एक अच्छा गांव। यह अभियान प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ था। कन्नूर आज ऐसा गंतव्य बन गया है जहां पर्यावरण प्रेमी जाने के लिए उत्साहित रहते हैं।

Photo by Nahel Abdul Hadi / Unsplash

ऐसे समय में जब पूरी दुनिया खुद को प्लास्टिक की चपेट में महसूस कर रही है, हमें कुछ ऐसे प्रेरणादायक स्थानों की बात जरूर कर लेनी चाहिए जो इस बात का सबूत हैं कि हम अपने तौर-तरीकों को सही करके पूरी पृथ्वी को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं।

हम आज बात कर रहे भारत के एक ऐसे स्थान के बारे में जो सबसे हटकर है। यहां भारतीय प्रदूषण से मुक्ति के लिए वास्तव में जबरदस्त काम कर रहे हैं। यह जगह है केरल का कन्नूर जिला। आज हम आपको कन्नूर जिले और इसकी सफलता की कहानी बता रहे हैं।

Banyan tree on the courtyard of boys hostel, JNV Kannur
 केरल के इस जिले में ‘नल्ला नाडु, नल्ला मन्नू’ नाम का एक अभियान चलाया गया था। Photo by Anjoe Paul / Unsplash

साधारण प्रयासों से प्लास्टिक मुक्त हुआ कन्नूर

हाल ही में केरल के इस जिले में ‘नल्ला नाडु, नल्ला मन्नू’ नाम का एक अभियान चलाया गया था। इसका हिंदी में अर्थ है कि अच्छी मिट्टी के साथ एक अच्छा गांव। यह अभियान प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ था। इस अभियान के जरिए कन्नूर जिले के स्थानीय लोगों को हथकरघा से बने थैलों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस अभियान से प्लास्टिक के उपयोग को व्यवस्थित रूप से समाप्त करने से लेकर जिले ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक लंबी और अक्सर कठिन लड़ाई शुरू की।

प्लास्टिक पर निर्भरता को देखते हुए शुरुआत में यह एक असंभव कार्य जैसा लगा। लेकिन इस परियोजना के लिए अथक प्रयास किए गए जिसमें लोगों को प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में शिक्षित करना भी शामिल था। इससे जिले को लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिली और अप्रैल 2017 में जिले को भारत का पहला प्लास्टिक मुक्त जिला घोषित किया गया। आज कन्नूर में डिस्पोजेबल प्लास्टिक का उपयोग खत्म हो चुका है।

कन्नूर आज ऐसा गंतव्य बन गया है जहां पर्यावरण प्रेमी जाने के लिए उत्साहित रहते हैं। Photo by Vineeth Vinod / Unsplash

‘नल्ला नाडु, नल्ला मन्नू’ अभियान के तहत कन्नूर में किसी भी डंपिंग गतिविधियों के लिए सड़कों के किनारे और जल निकाय जैसी जगहों पर कड़ी निगरानी भी रखी गई थी। प्लास्टिक कैरी बैग की बिक्री और खरीद पर सख्ती से प्रतिबंध लगाए गए जिसने जिले के लिए चमत्कार का काम किया। किसी भी प्रकार के सार्वजनिक समारोहों के दौरान डिस्पोजेबल वस्तुओं के उपयोग के लिए जिला कार्यालयों की अनुमति को भी अनिवार्य किया गया। इन सभी प्रयासों ने जिले में असर डाला और आज यह ऐसा गंतव्य बन गया है जहां पर्यावरण प्रेमी जाने के लिए उत्साहित रहते हैं।

कन्नूर से पहले भारत के उत्तर पूर्व राज्य मेघालय के पूर्वी खासी हिल्से जिले का गांव मावलिननांग अपनी स्वच्छता के लिए मशहूर है। डिस्कवर इंडिया पत्रिका ने इस गांव को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव का दर्जा दिया था। इसके अलावा सिक्किम का लाचुंग गांव भी डिस्पोजेबल प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में अग्रणी रहा। लाचुंग में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के प्रयास 90 के दशक के अंत में ही शुरू हो गए थे। आज कन्नूर भी इस प्रभावशाली सूची में खुद को पाता है। आज कन्नूर के प्रयासों को देख विश्व बहुत कुछ सीख रहा है।

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