भारत के दक्षिण भारत राज्य उड़ीसा के बालासोर क्षेत्र में शुक्रवार को दो यात्री गाड़ी और एक मालगाड़ी के टकराने की जांच सभी एंगल से शुरू हो गई है। रेलवे को इस दुर्घटना में ‘सिग्नल में गड़बड़ी’ की आशंका लग रही है, इसलिए दुर्घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से करवाने का निर्णय लिया गया है। इस भयानक दुर्घटना में अभी तक करीब 275 लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों का राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। बड़ी बात यह रही कि जिस रूट पर यह बड़ी दुर्घटना हुई, वहां पर ट्रेन यातायात चालू कर दिया गया है।
दुर्घटना की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार की देर शाम वहां दुर्घटना हुई और शनिवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुर्घटना स्थल का जायजा लेने पहुंच गए। इसके अलावा उन्होंने अस्पतालों में जाकर घायल लोगों का हाल-चाल भी पूछा। पीएम का कहना है कि दुर्घटना के दोषियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। विभिन्न एजेंसियां इस दुर्घटना की जांच में लगी हैं। खास बात यह है कि दुर्घटना के बाद से भारत सरकार के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव आला अफसरों के साथ दुर्घटना स्थल पर डेरा डाले हुए हैं। वह रेल रूट को क्लियर करवाने के अलावा घायलों के इलाज पर भी निगरानी रख रहे हैं। इस दुर्घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है और सरकार से सवाल पूछे जाने लगे हैं। इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है।
दूसरी ओर रेल दुर्घटना की जांच अब ‘गड़बड़ी और साजिश’ की ओर मुड़ती नजर आ रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल बोर्ड ने इस रेल हादसे की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। सूत्र बताते हैं कि रेलवे बोर्ड सीबीआई जांच इसलिए करवाना चाहता है क्योंकि उसे रेलवे ट्रैक पर ‘सिग्नल में गड़बड़ी’ की आशंका नजर आ रही है और इस गंभीर दुर्घटना की फिलहाल यही प्रमुख वजह मानी जा रही है। इस मसले पर रेल मंत्री वैष्णव का भी कहना है कि परिस्थितियों और अभी तक मिली प्रशासनिक जानकारी को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड इस हादसे की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। रेल मंत्री का यह भी कहना है कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है और इस दुर्घटना की जड़ में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में समस्या और ट्रैक के इस हिस्से में ऑपरेशनल सिग्नल सिस्टम में समस्या नजर आई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस हादसे में दोषी लोगों की पहचान कर ली गई है। यह पूछे जाने पर कि उनके खिलाफ कब एक्शन होगा, रेल मंत्री ने कहा जांच अभी जारी है।
असल में यह ट्रेन दुर्घटना जिन परिस्थितियों में हुई, उससे रेल प्रशासन स्तब्ध हैं और मान रहा है कि इस दुर्घटना में कुछ न कुछ ‘गड़बड़ी’ जरूरी हुई है। सूत्र बताते हैं कि दोनों सवारी गाड़ियों की स्पीड तेज थी, इसका अर्थ यही था कि सिग्नल व सिस्टम ने ऑटो पायलट को किसी प्रकार की गड़बड़ी का संदेश नहीं भेजा था। रेलवे का सिस्टम इतना हाईटेक हो चुका है कि गड़बड़ी का संदेश पायलट को जरूर मिलता और वह आपात स्थिति में ब्रेक जरूर लगाता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। विशेष बात यह है कि हादसे के बाद सबसे पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस के लोको पायलट का कहना है कि उन्हें मुख्य लाइन के लिए ग्रीन सिग्नल मिला था और ट्रेन तेज़ गति से यहां से गुज़री थी। यह जानकारी मिल रही है कि बिना मानवीय हस्तक्षेप के इस सिग्नल सिस्टम में गड़बड़ नहीं हो सकती थी। रेलवे के एक आला अधिकारी के अनुसार हादसे की रात डिजिटल रिकॉर्ड से अब तक जो पता चला है, उसके मुताबिक जो सिग्नल भेजे गए थे वो बिल्कुल ठीक थे और उम्मीद के मुताबिक थे। इसलिए हादसे की गहन जांच जरूरी है।
#trainaccident #orrisa #cbi #inquiry #IndianDiaspora #Diaspora #Indian #NewIndiaAbroad #IndiaAbroad