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विशेष लेख: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच बिगड़े रिश्ते

अमेरिकी लेखिका सी क्रिस्टीन फेयर जार्जटाउन यूनिवर्सिटी में असोसिएट प्रोफेसर हैं। वह दक्षिण एशिया के राजनैतिक व सैन्य मामलों की विशेषज्ञ मानी जाती हैं। ‘इंडियन स्टार’ के लिए उन्हें विशेष रूप से हिंदी में अपना लेख लिखा है, जिसमें सऊदी अरब व पकिस्तान के बनते-बिगड़ते रिश्तों का विश्लेषण किया गया है।

पाकिस्तान के परेशान प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले दिनों सऊदी अरब को "वर्ष के दौरान तीन बिलियन डॉलर की मदद करने और $1.2 बिलियन पेट्रोलियम उत्पादों के वित्तीयन के लिए" अपनी हालिया प्रतिबद्धता के लिए कृतज्ञता व्यक्त की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों देश के दरमियान “लंबे समय से ऐतिहासिक और भाईचारे का आपसी संबंध मजबूत हुआ है, जो साझा आस्था, साझा इतिहास और आपसी समर्थन पर आधारित हैं।” इमरान खान ने कहा कि यह कदम "दोनों देशों के बीच सदाबहार दोस्ती की पुष्टि करता है।

शुरुआती दौर में इमरान खान के सऊदी से अच्छे संबंध रहे।

उनका यह बयान सच्चाई को छुपाता है। दोनों देशों के आपसी संबंध लंबे समय से संकट में है। रियाद ने अब संबंधों में इस गहराते मतभेद को बंद करना क्यों शुरू करने की कोशिश की है? अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम और पाकिस्तान की भूमिका के मद्देनजर इस कदम की व्याख्या की जा सकती है, लेकिन भारत के साथ रियाद के बढ़ते आर्थिक संबंध सऊदी-पाकिस्तान संबंधों की सीमाओं को बाधित करेंगे।

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