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शख्सियत: भारत के नामी साहित्यकारों से अपनापन रहा कवि अनूप भार्गव का

अनूप भार्गव की उपलब्धि यह रही कि न्यूयॉर्क के भारतीय कौंसलावास ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी पत्रिका ‘अनन्य’ प्रकाशित करने का दायित्व उन्हें सौंपा। यह विश्व का यह ऐसा पहला प्रयास है जो किसी दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट पर हुआ है। इसके लिए महती प्रयास किए गए।

भारत में राजभाषा हिंदी से जुड़े एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सम्मान ग्रहण करते हुए। 

इस दौरान हिंदी के प्रसार-प्रचार के लिए अनूप भार्गव ने ई-तकनीक का सहयोग लेना शुरू किया। वर्ष 1993 में ‘ई-कविता’ व ‘ई-चिंतन’ समूहों की स्थापना की। ‘ई-कविता’ हिंदी कविता को समर्पित पहला, सबसे बड़ा और सक्रिय समूह है। इस में इस समय 700 से अधिक सदस्य हैं । वर्ष 2008 से 2011 तक इंटरनेट पर सबसे बड़े कविता संग्रह 'कविता कोश’ से जुड़े रहे और उसके प्रचार, प्रसार में सहयोग दिया। वर्ष 2014 में ‘झिलमिल-अमेरिका’ संस्था की स्थापना की। यह ‘संगीत’, नृत्य, नाटक, कवि सम्मेलन और कला की अन्य विधाओं में अमेरिका के विभिन्न शहरों में कार्यक्रम करती है।

गीतकार गुलजार से भी उनका खासा अपनापन रहा। साथ में उर्दू की नामी हस्ती गोपीचंद नारंग। 

इसके बाद 2019 में उन्होंने ‘कविता की पाठशाला’ की स्थापना की जिसमें अनुभवी गुरुजनों द्वारा कविता की विभिन्न विधाओं में कविता के शिल्प पर शिक्षा दी जाती है। उसी साल उन्होंने अमेरिका में ‘विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव’ का आयोजन किया। मार्च 2021 में अनूप भार्गव ने ‘हिंदी के कुछ अधूरे काम करने के लिए’ ‘हिंदी से प्यार है’ समूह का गठन किया । इस समूह के अंतर्गत ज़मीन से जुड़ी कई परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इसी साल जून से उपलब्धि यह रही कि न्यूयॉर्क के भारतीय कौंसलावास ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हिंदी पत्रिका ‘अनन्य’ प्रकाशित करने का दायित्व उन्हें सौंपा।

पुरानी यादें: मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह के साथ एक कार्यक्रम में। 

वह बताते हैं कि यह बड़ी उपलब्धि इसलिए है, क्योंकि विश्व का यह ऐसा पहला प्रयास है जो किसी दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट पर हुआ है। यह पत्रिका स्वयंसेवकों द्वारा निकाली जा रही है। इसके लिए महती प्रयास किए गए। लीगल प्रोसेस के लिए कौसलवाल से लंबा पत्र व्यवहार करना पड़ा, आश्वस्त करना पड़ा कि कौंसलवाल से बजट नहीं लिया जाएगा, पत्रिका प्रकाशन से पहले सारी सामग्री कौंसलवास को चेक करने के लिए भेजी जाएगी, यह भी आश्वासन दिया गया कि पत्रिका की प्रमुख विषयवस्तु साहित्य से ही जुड़ी होगी। राजनैतिक व विवादास्पद विषय बिल्कुल भी नहीं होंगे। पत्रिका का फोकस भारतीय प्रवासियों पर ही रहेगा। अनूप चाहते हैं कि ऐसी पत्रिका विश्व में भारत के सभी कौंसलवास को निकालनी चाहिए, इसके लिए हमने मेहनत शुरू कर दी है।

भारत के दो नामी साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी व निर्मल वर्मा से भी उनका सान्निध्य रहा। 

ह इस बात से खुश और संतुष्ट हैं कि हिंदी में उनके द्वारा किए गए कार्यों को प्रशंसा भी मिली और सम्मान भी। वर्ष 2007 में न्यूयार्क में हुए आठवें विश्व हिन्दी सम्मेलन में महत्चपूर्ण भूमिका निभाई। उसके अकादमिक सत्र में ‘हिंदी के विकास में तकनीकी का योगदान’ पर अपना आलेख प्रस्तुत किया और कवि सम्मेलन में भी भाग लिया। उसी साल ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ द्वारा उन्हें भारत से बाहर हिन्दी के प्रति योगदान के लिए 'विदेश प्रसार सम्मान' मिला। वर्ष 2015 में भोपाल में संपन्न हुए 'दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन' में उन्हें प्रधानमंत्री की उपस्थिति में  'विश्व हिन्दी सम्मान' से नवाज़ा गया। साल 2018 में ‘मॉरिशस में हुए 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में उन्हें भारत सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया, जहां उन्होंने ‘प्रोद्योगिकी का भविष्य’ विषय पर प्रतिभागी के रूप में अपना लेख पढ़ा।

अपने परिवार के सदस्यों के साथ अनूप भार्गव।

का हिंदी प्रेम लगातार रंग लाता रहा। वर्ष 2019 में लिसबन विश्वविद्यालय द्वारा लिसबन, पुर्तगाल में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया और ‘हिंदी के प्रसार में तकनीकी का प्रयोग’ पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। उसी वर्ष रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘विश्वरंग- अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव’ में विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किए गए। अमेरिका में पिछले 20 साल से आईटी कंसलटेंट की भूमिका अदा कर रहे अनूप भागर्व चाहते हैं कि अमेरिका आने के बाद शुरू के पांच साल कुछ कठिन रहे। उसके बाद उनका कवि मन कुलांचे भरता रहा, जो आज भी जारी है। लोगों का हिंदी प्रेम बढ़ाने के लिए उन्हें कंप्यूटर पर ही हिंदी सिखाई। हिंदी के बड़े साहित्यकारों की वेबसाइट बनाई, उनके बिखरे व्यक्तित्व-कृतित्व को जोड़ने के लिए खूब मेहनत की जा रही है। इंटरनेट पर अनूप भार्गव के कृतित्व और उनके ब्लॉग को www.anoopbhargava.blogspot.com पर पढ़ा जा सकता है।

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