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700 भारतीयों को फर्जी कागजों पर कनाडा भेजा था, कंपनी पर गिरी ये गाज

ये 700 भारतीय साल 2018-19 के दौरान कनाडा में पढ़ाई करने गए थे। उस समय इन्होंने वीजा पाने के लिए जो एडमिशन ऑफर लेटर दाखिल किए थे, अब जांच में फर्जी पाए गए। इस बीच ये भारतीय कनाडा में पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्क वीजा भी हासिल कर चुके थे और अब स्थायी निवास पाने के लिए आवेदन किया था।

डिपोर्ट किए गए करीब 700 भारतीय साल 2018-19 में पढ़ाई करने कनाडा गए थे। (सांकेतिक तस्वीर साभार ट्विटर)

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 700 से अधिक लोगों को भारत से कनाडा भेजने वाली इमिग्रेशन कंपनी का लाइसेंस पंजाब सरकार ने रद्द कर दिया है। इन सभी करीब 700 लोगों का वीजा रद्द करके कनाडा सरकार ने हाल ही में भारत वापस भेजा था। स्थायी निवास पाने के आवेदन के दौरान जांच में इनके डमिशन ऑफर लेटर फर्जी पाए गए थे।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जालंधर के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) जसप्रीत सिंह ने बताया कि एजुकेशन एंड माइग्रेशन सर्विसेज के खिलाफ पंजाब ट्रेवल प्रोफेशनल्स रेग्युलेशन एक्ट 2014 की धारा 4 और 6 के तहत ये कार्रवाई की गई है। इससे पहले कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उसे कारण बताओ नोटिस देकर लाइसेंस सस्पेंड किया गया था। अब लाइसेंस रद्द होने के बाद ये कंपनी किसी को विदेश नहीं भेज पाएगी।

डीसी ने आदेश में कहा कि ट्रैवल एजेंट का लाइसेंस रखने वाले व्यक्ति या कंपनी की छवि बेदाग होनी चाहिए और किसी को भी अवैध काम करके धोखा नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि आगे ऐसी घटनाएं न हों, उसके लिए प्रशासन ने क्या इंतजाम किए हैं। डीसी ने बताया कि आव्रजन फर्मों पर कड़ी नजर रखने और नियमित जांच के लिए जिला प्रशासन ने विशेष टीमें बनाई हैं। ये टीमें एसडीएम की निगरानी में गठित की गई हैं ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कोई गड़बड़ न हो पाए।

बता दें कि ये सभी 700 भारतीय साल 2018-19 के दौरान कनाडा में पढ़ाई करने गए थे। उस समय इन्होंने वीजा पाने के लिए जो एडमिशन ऑफर लेटर दाखिल किए थे, अब जांच में फर्जी पाए गए। इस बीच ये भारतीय कनाडा में पढ़ाई करने के बाद वर्क वीजा भी हासिल कर चुके थे। दो साल बाद पात्र बनने पर इन्होंने जब स्थायी निवास (PR) पाने के लिए आवेदन किया, तब कनाडाई सीमा सुरक्षा एजेंसी (CBSA) की जांच में एडमिशन ऑफर लेटर फर्जी पाए गए।

खबरों के अनुसार जालंधर की एजुकेशन माइग्रेशन सर्विस को बृजेश मिश्रा नाम का शख्स चलाता है। दावा है कि मिश्रा ने वीजा के लिए हर छात्र से 16-20 लाख रुपये लिए थे। इसमें कनाडा के प्रीमियर कॉलेजों में एडमिशन की फीस और अन्य खर्चे शामिल थे लेकिन हवाई टिकट और सिक्योरिटी डिपोजिट की फीस अलग थी।

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