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हिंसा से जूझती दुनिया के लिए भारत का ‘वसुधैव कुटुंबकम’ दर्शन ही उपाय

पश्चिम एशिया में बढ़ती हिंसा सहित पूरी दुनिया में बिगड़ते सुरक्षा हालात एक विश्व, एक कुटुंब की अवधारणा के ठीक विपरीत हैं। विभेद और अविश्वास से भरे वर्तमान समय में भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन की अहमियत एक बार फिर बढ़ जाती है।

मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। फोटो : ICCR

दुनिया में बढ़ती हिंसा और युद्ध के बीच भारत का प्राचीन सिद्धांत और दर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम’ क्या शांति का रास्ता तैयार कर सकता है? इजराइल-हमास जंग और दुनिया के कई देशों में तनाव के बीच भारत के इस सनातन दर्शन की अहमियत को एक बार फिर विश्व के पटल पर सामने रखा गया। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के इस मौलिक चिंतन पर रोशनी डाली।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।

यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने आईसीसीआर के साथ मिलकर आयोजित किया था। बता दें कि भारत इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। जी20 की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम’’ है, जो वैश्चिक चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस मौके पर सहस्रबुद्धे ने कहा कि पश्चिम एशिया में बढ़ती हिंसा सहित पूरी दुनिया में बिगड़ते सुरक्षा हालात एक विश्व, एक कुटुंब की अवधारणा के ठीक विपरीत हैं। विभेद और अविश्वास से भरे वर्तमान समय में भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन की अहमियत एक बार फिर बढ़ जाती है।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे।

उनका कहना है कि यह ऐतिहासिक है कि वसुधैव कुटुंबकम के बारे में उस स्थान पर चर्चा की जा रही है जहां इस पर चर्चा होनी चाहिए। साथ ही वक्त भी ऐसा है कि हमें इस पर चर्चा करने की जरूरत है। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र के संगठनात्मक मिशन को स्पष्ट करने का वसुधैव कुटुंबकम से बेहतर कोई तरीका नहीं है।

सहस्रबुद्धे ने कहा कि इस दर्शन को भारत के एक अलग सैद्धांतिक दृष्टिकोण के रूप में नहीं देखा जा सकता है, यह भारत के वैश्विक दृष्टिकोण में अंतर्निहित है। भारत में राष्ट्रवाद का विचार कभी भी संकीर्ण मानसिकता के बारे में नहीं रहा। उन्होंने कहा कि भारत विभिन्न क्षेत्रों में विकासशील देशों को कई तरीकों से नेतृत्व प्रदान करने का प्रयास कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने कहा कि पवित्र वेदों और उपनिषदों से वसुधैव कुटुंबकम का दर्शन सहस्राब्दियों से चला आ रहा है। यह लोगों को याद दिलाता है कि राष्ट्रीयता, धर्म और संस्कृति अलग होने के बावजूद ‘हम सब एक ही मानवीय सार-तत्व साझा करते हैं। हमारे भाग्य, हमारे सपने और हमारी चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने सम्मेलन की थीम को लेकर भारत की सराहना करते हुए कहा कि एक विश्व, एक कुटुंब की अवधारणा एकजुटता और एकता के सिद्धांतों के साथ बेहतर तरीके से मेल खाती है। फ्रांसिस ने कहा कि कुछ हफ्ते पहले तक मुझे नहीं पता था कि जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं वे आने वाले वक्त में और जटिल हो जाएंगी। मैंने पश्चिम एशिया में हिंसा में वृद्धि और दोनों पक्षों के निर्दोष नागरिकों के मारे जाने की निंदा की है।

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