भारतीय हिंदी सिनेमा (बालीवुड) के अभिनेता (हास्य), लेखक और निर्देशक सतीश (चंद्र) कौशिक का गुरुवार की रात निधन हो गया। करीब 66 साल के सतीश कौशिक का देश की राजधानी दिल्ली से गहरा नाता रहा है। उन्होंने अपनी कॉमेडी सेंस को इतनी ऊंचाई पर पहुंचाया था कि पर्दे पर दर्शक उन्हें फिल्म के हीरो से ज्यादा देखना चाहते थे। उनकी कॉमेडी गजब थी। जब हिंदी सिनेमा में फूहड़ व शारीरिक व बचकाना एक्टिंग को लेकर कॉमेडी का बोलबाला था, तब उन्होंने डॉयलॉग और अलग तरह की भाषा के जरिए एक्टिंग कर दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया था। कॉमेडी की इसी अदा के चलते उन्हें दो बार बेस्ट कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था।

विशेष बात यह थी कि सतीश कौशिक ने मंगलवार को मुंबई में एक होली उत्सव में हिस्सा लिया था। यह पार्टी जाने-माने लेखक व गीतकार जावेद अख्तर ने दी थी, चूंकि दिल्ली में बुधवार को होली थी, इसलिए अपने परिवार व दोस्तों के संग होली मनाने दिल्ली चले आए। यहां देर रात उनकी तबियत बिगड़ी और अस्पताल में उनकी मौत हो गई। वैसे पुलिस उनकी मौत की जांच कर रही है। उनकी मौत से हिंदी सिनेमा के अलावा भारतीय दर्शक स्तब्ध हैं और नेताओं, फिल्मों से जुड़े लोगों ने उनकी मौत पर दुख साझा किया है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर लिखा कि 'अभिनेता, निर्देशक और लेखक सतीश कौशिक जी के आकस्मिक निधन से गहरा दुख हुआ। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान, उनकी आर्टिस्टिक क्रिएशन और परफॉर्मेंस हमेशा याद की जाएंगी।
Pained by the untimely demise of noted film personality Shri Satish Kaushik Ji. He was a creative genius who won hearts thanks to his wonderful acting and direction. His works will continue to entertain audiences. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 9, 2023
सतीश कौशिक न सिर्फ एक मंझे हुए एक्टर थे, बल्कि एक शानदार निर्देशक, लेखक, हास्य कलाकार और रंगमंच कर्मी भी थे। उनका बचपन और जवानी का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली स्थित करोल बाग के नाईवाला इलाके में गुजरा। इस लेखक को याद है कि एक बार करोल बाग क्षेत्र के बीजेपी विधायक एसपी रातवाल के बेटे की शादी में वह आए थे। रातावाल ने उनसे मुलाकात करवाई। वह सीधे खान-पान पर उतर आए और बोले, यार चलो, पहले खाने-पीने की व्यवस्था देखते हैं, बात भी करते रहेंगे। तब वह इतने अधिक मशहूर नहीं हुए थे, लेकिन वह तब भी जमीनी थे और आज भी। खाने-पीने का शौक उनका बेहद पुराना था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जब वह किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली में पढ़ते थे तब हर हफ़्ते करोलबाग वाली 'रोशन दी क़ुल्फ़ी' की दुकान पर जाते थे। वहां चना-भटूरा खाता था। यार वो क्या टेस्टी बनाते हैं।

फिल्मी दुनिया के जाने माने कॉमेडियन महमूद व जॉनी वॉकर को वह बहुत पसंद करते थे। उनका कहना भी था कि वह फिल्म इंडस्ट्री में कॉमेडियन बनने आए हैं। लेकिन उनकी कॉमेडी एकदम अलग थी। उन्होंने कभी भी फूहड़ कॉमेडी नहीं की। कॉमेडी की उनकी अपनी भाषा-बोली थी, जिससे वह दर्शकों को हंसाते थे। फिल्म मिस्टर इंडिया में कैलेंडर का रोल ऐसा ही था, जहां उन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया। एक अन्य फिल्म में उन्होंने ईमानदार वकील की एक्टिंग की। इस फिल्म के हीरो गोविंदा थे। यह फिल्म उनके हास्य अभिनय के कारण खूब चली। उन्होंने अपनी एक्टिंग में मुंबइया व पुरानी दिल्ली का खूब घालमेल किया, जो एक नया प्रयोग था, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। उन्होंने कॉमेडी को उस मुकाम पर पहुंचाया कि पर्दे पर जब वह आते थे तो दर्शक अन्य किरदारों को भूलकर उनकी कॉमेडी का मजा लेने लग जाते थे। उन्होंने अपनी शुरुआती फिल्म जाने भी दो यारों में कमेडी दिखाकर बता दिया था कि वह फिल्मी दुनिया में कॉमेडी ही करने आए हैं।

उन्होंने फिल्मों में हास्य रोल तो किए, लेकिन वह जबर्दस्त निर्देशक, राइटर भी थे। वह फिल्म निर्माता भी थे। अपने फिल्मी करियर में उनकी एकाध फिल्म ही फ्लॉप रही होगी। बाकी फिल्मों ने खूब नाम कमाया और पैसा भी। सतीश कौशिक बेहद संजीदा इंसान भी थे और दोस्तों के दोस्त थे। पुरानी बात है कि जब अभिनेत्री नीना गुप्ता वेस्टइंडीज के नामी क्रिकेटर विवियन रिचर्ड के बच्चे की मां बनने वाली थी और बेहद परेशानी के दौर में थी। असल में उन्होंने रिचर्ड से शादी नहीं की थी। तब सतीश कौशिक ने नीना के आगे उनसे शादी का प्रस्ताव रखा था। उनका कहना था कि वह एक सच्चे दोस्त होने के नाते उसे विश्वास दिलाना चाहते थे कि चाहे कुछ भी हो मैं उसके साथ खड़ा रहूंगा। उनके शादी के प्रस्ताव पर नीना की आंखें भर आई थी। सतीश इस बात पर नीना के कायल थे कि पुराने दौर में एक लड़की ने शादी के बिना ही बच्चा पैदा करने का फैसला किया था। वैसे नीना ने विनम्रता से उनका प्रस्ताव नहीं माना था। उनकी यारबाजी का हाल यह है कि आज भी जब वह दिल्ली आते थे तो करोल बाग के अपने दोस्तों से जरूर मिलते थे। कई दोस्तों की तो उन्होंने मदद भी की, लेकिन इसे कभी जाहिर नहीं होने दिया।