लंदन के बाद अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी खालिस्तानी समर्थकों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास में घुसकर तोड़फोड़ की। कहा तो ये भी जा रहा है कि उपद्रवियों ने कॉन्सुलेट में आग लगाने की भी कोशिश की। भारत सरकार ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताई है। अमेरिका ने भी इस घटना को अस्वीकार्य करार दिया है।
US: Khalistani supporters attacked and vandalised the Indian consulate in San Francisco, after Indian officials removed the Khalistani flags from consulate property. pic.twitter.com/QFLLA3hg9g
— Suresh k Sharma 🇨🇦🇺🇸🇮🇳 (@suresh_k_sharma) March 20, 2023
व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ 'बिल्कुल अस्वीकार्य' है और अमेरिका इसकी कड़ी निंदा करता है। हम निश्चित रूप से इस बर्बरता की निंदा करते हैं। उधर भारतीय-अमेरिकियों ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

बता दें कि सैन फ्रांसिस्को में 19 मार्च की दोपहर खालिस्तानी समर्थकों का एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारी भारतीय वाणिज्य दूतावास की इमारत में घुस गए। खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए। दरवाजे तोड़ने की भी कोशिश की गई। आग लगाने का भी प्रयास हुआ। प्रदर्शन के लिए सैकड़ों लोग एक दिन पहले ही दूतावास के सामने जमा हो गए थे। 19 तारीख को करीब 100 मील दूर से लगभग 200 प्रदर्शनकारी और आ गए।
भारत के पंजाब राज्य में वारिस पंजाब दे संगठन के नेता अमृतपाल पर पुलिस द्वारा शिकंजा कसे जाने के विरोध में दुनिया के कई हिस्सों में खालिस्तानी समर्थकों के प्रदर्शन के बीच ये घटना हुई। खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल को धार्मिक नेता बताते हुए उसकी गिरफ्तारी और पंजाब में इंटरनेट बैन का विरोध कर रहे हैं।

सैन फ्रांसिस्को में भारतीय महावाणिज्य दूत नागेंद्र प्रसाद ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि उनके दो कर्मचारी खिड़कियों से टूटे हुए कांच लगने से घायल हो गए थे। उनका घटनास्थल पर ही इलाज किया गया। नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन के अध्यक्ष सतनाम सिंह चहल ने दूतावास में हुई हिंसा की निंदा की है। चहल ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। हमें प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन ये शांतिपूर्ण होना चाहिए। मैं किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हूं।
कैलिफोर्निया सिख यूथ एसोसिएशन के सदस्य जस सिंह ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि 22 मार्च को वाणिज्य दूतावास पर दोपहर 3 से 6 बजे तक इसी तरह के विरोध प्रदर्शन की योजना है। यह संगठन 19 मार्च के प्रदर्शन में भी शामिल था।
गौरतलब है कि भारत में खालिस्तान के रूप में एक अलग देश बनाने की मांग चार दशकों से अधिक समय पुराना है। बीच के वर्षों में यह आंदोलन शांत पड़ गया था लेकिन 2015 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में भारत की सत्ता संभालने के बाद यह चिंगारी फिर भड़कने लगी। हाल के दिनों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में खालिस्तानी समर्थकों की हिंसक घटनाएं बढ़ गई हैं।