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मणिपुर हिंसा के विराध में अमेरिका में प्रदर्शन, कई संगठनों ने जताया विरोध

सैन फ्रांसिस्को बे एरिया स्थित घरेलू हिंसा विरोधी तीन संगठनों ने 27 जुलाई को अयोजित विरोध प्रदर्शन की सफलता के लिए सहयोग किया। इनमें मैत्री, नारिका, और SAVE संगठन शामिल हैं। आयोजकों ने कहा कि प्रदर्शन का उद्देश्य गैर-राजनीतिक था।

अमेरिका के कैलिफोर्निया में मणिपुर हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया गया। 

भारत के मणिपुर राज्य में कुछ दिनों पहले दो महिलाओं के साथ अभद्रता का एक वीडियो वायरल हुआ था। अमेरिका के कैलिफोर्निया में इन महिलाओं के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए महिलाओं का एक समूह 27 जुलाई की शाम को फ्रेमोंट की यूनिटी स्कल्पचर में इकट्ठा हुए। 30 जुलाई को सुबह 11 बजे फ्रेमोंट में इसी स्थान पर एक और विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।

सैन फ्रांसिस्को बे एरिया स्थित घरेलू हिंसा विरोधी तीन संगठनों ने 27 जुलाई के कार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोग किया। इनमें मैत्री, नारिका, और SAVE संगठन शामिल हैं। दीपका लालवानी की ओर से स्थापित संगठन इंडियन बिजनेस एंड प्रोफेशनल वुमन ने भी भाग लिया और विरोध प्रदर्शन के लिए कई स्थानीय राजनेताओं को शामिल किया। आयोजकों ने कहा कि प्रदर्शन का उद्देश्य गैर-राजनीतिक था। महिला अधिकार कार्यकर्ता विजी सुंदरम का कहना है कि जब मैंने मणिपुर की घटना के बारे में सुना, तो मैं चौंक गई। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में हो रही है।

नारिका की कार्यकारी निदेशक शैलजा दीक्षित ने कहा, महिलाओं के शरीर को राजनीति का हथियार न बनाएं

मैत्री संस्था के निदेशक मंडल की अध्यक्ष गीता कृष्णमूर्ति का कहना है कि दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, लेकिन उनके पास सहारा लेने के रास्ते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को महिलाओं के शरीर को राजनीतिक रणक्षेत्र के रूप में इस्तेमाल करना बंद करना चाहिए। हमारे शरीर आपके युद्ध के मैदान नहीं हैं। आप किसी और को सजा देने के लिए एक महिला के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते। उनका अपमान नहीं कर सकते।

नारिका की कार्यकारी निदेशक शैलजा दीक्षित का कहना है कि भारत और दुनिया भर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है। मणिपुर की घटना ने इसका पर्दाफाश किया है। लेकिन निश्चित रूप से हजारों और भी ऐसी घटनाएं हैं जहां महिलाओं को क्रूरता और शर्म के साथ चुपचाप रहना पड़ा है।

भारत की राजधानी दिल्ली में पली-बढ़ी शैलजा दीक्षित ने कहा कि भारतीय महिलाओं के लिए यौन उत्पीड़न आम बात है। उन्हें सार्वजनिक परिवहन में छेड़छाड़ का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि मणिपुर की महिलाओं और दुनिया भर की महिलाओं के लिए अधिक न्यायसंगत समाज कैसे बनाया जाए।

फ्रेमोंट शहर के पार्षद और पूर्व उप महापौर राज सलवान निजी व्यस्तता के कारण व्यक्तिगत रूप से कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। हालांकि उन्होंने एकजुटता का संदेश भेजा, जिसे दीपका लालवानी ने पढ़ा। राज सलवान ने अपने संदेश में कहा कि मणिपुर की महिलाएं, हर जगह की महिलाओं की तरह, एक ऐसे समाज में रहने की हकदार हैं जो उनकी गरिमा का सम्मान करता है। उनके अधिकारों की रक्षा करता है। उनकी मौलिक स्वतंत्रता को बनाए रखता है।

गौरतलब है कि इसी तरह का प्रदर्शन 23 जुलाई को कैलिफोर्निया के ओकलैंड में किया गया था। नॉर्थ अमेरिकन मणिपुरी ट्राइबल एसोसिएशन के सदस्यों ने अमेरिकी संसद सदस्यों से मणिपुर में मैइती और कुकी समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष पर विचार करने का आग्रह किया।

गौरतलब है कि 4 मई को मणिपुर में दो महिलाओं का अपहरण कर लिया गया, उनके कपड़े उतारे गए और गांव में उन्हें बिना कपड़ों के घुमाया गया। सैकड़ों लोगों की भीड़ ने इस अमानवीय कृत्य को देखा और वीडियो बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं पर अत्याचार की इस घटना को शर्मनाक बताया था। उन्होंने कहा कि मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है, उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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