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भारत में सिख विरोधी दंगों का दंश फिर उभरा, न्याय को लेकर होगा प्रदर्शन

दंगा पीड़ित सिखों के लिए सालों से लड़ रहे ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस बब्बर ने कहा है कि वर्ष 1984 पर बनी सभी जांच रिपोर्ट और कमीशन की रिपोर्ट को जलाया जाएगा क्योंकि यह सब रिपोर्ट सिख कौम के साथ एक बहुत बड़ा धोखा था और किसी भी जांच रिपोर्ट ने सिखों को न्याय नहीं दिया।

प्रतीकात्मक पिक्चर: साभार सोशल मीडिया

भारत विशेषकर दिल्ली में वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों का दंश एक बार फिर से उभरकर सामने आ रहा है। दंगा पीड़ितों व सिख संगठनों का आरोप है कि सालों गुजर जाने के बाद भी सिखों की हत्या करने वाले आरोपियों में से एकाध को छोड़कर बाकी आरोपी आज भी खुल घूम रहे हैं। पीड़ितों को भारत की नरेंद्र मोदी सरकार से न्याय की उम्मीद है। इस मसले पर दिल्ली के एक प्रमुख सिख संगठन ने घोषणा की है कि पीड़ित सिखों की न्याय की मांग को लेकर 31 अक्टूबर को दिल्ली के प्रमुख प्रदर्शन स्थल जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया जाएगा।

दंगा पीड़ित सिखों के लिए सालों से लड़ रहे ऑल इंडिया सिख कॉन्फ्रेंस बब्बर ने कहा है कि वर्ष 1984 पर बनी सभी जांच रिपोर्ट और कमीशन की रिपोर्ट को जलाया जाएगा क्योंकि यह सब रिपोर्ट सिख कौम के साथ एक बहुत बड़ा धोखा था और किसी भी जांच रिपोर्ट ने सिखों को न्याय नहीं दिया। संगठन के अनुसार नवंबर 1984 कत्लेआम में शामिल सभी दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के नाम की लिस्ट जलाई जाएगी और नवंबर 1984 हत्याकांड करने और करवाने वाले सभी कांग्रेसी नेताओं की तस्वीरों को भी जलाया जाएगा। संगठन का कहना है कि मारे गए सिखों के परिजनों ने बाकायदा दोषियों का नाम लेकर उसकी जानकारी पुलिस, शासन व कोर्ट को दी, लेकिन दुख की बात है कि एकाध को छोड़कर बाकी आरोपी और अपराधी कानून की पकड़ से बचे हुए हैं। यह भारतीय लोकतंत्र व न्यायप्रणाली के लिए शर्मसार है।

ऑल इंडिया सिख कांफ्रेंस ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार, कांग्रेस नेताओं और दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि सिखों की लाशों को बिना एफआईआर, (FIR) बिना पोस्टमार्टम , बिना कफन, बिना शमशान घाट , बिना ग्रंथी, बिना अंतिम अरदास और बिना धार्मिक मर्यादा के दिल्ली के आसपास अरावली की पहाड़ियों में ले जाकर पेट्रोल, डीजल और केमिकल डालकर फूंक दिया था। उन सभी दोषियों के खिलाफ अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। संगठन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह सिख कौम को न्याय दिलाने के लिए गंभीरता दिखाएं ताकि सालों से दंगों का दंश झेल रहे सिखों को सुकून मिल सके।

वर्ष 1984 में 31 अक्टूबर को सिख विरोधी दंगे शुरू हुए थे जो तीन दिन तक निर्बाध चले थे। इस दौरान सिखों को बचाने के प्रयास नहीं किए गए थे। आंकड़े बताते हैं कि इन दंगों में लगभग 2700 सिख मारे गए थे। उस दिन भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके दो अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। जिसके बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के भड़क गए थे। कई दिनों तक दिल्ली के कुछ सिख रिहायशी इलाकों क्षेत्रों में जारी रहे। दंगों में सिखों की हत्या हुई, इनके घरों, दुकानों को जलाया और लूटा गया और इनको मौत के घाट उतारा गया था। आरोप है कि पुलिस और शासन ने सिख पीड़ितों की कोई मदद नहीं की, जिन सिखों की जान बची, उन्हें उनके पड़ोसियों या सहानुभूति रखने वाले लोगों ने ही बचाया था।

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