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रो खन्ना ने अपनी ही पार्टी की बुजुर्ग सीनेटर फिनस्टीन से कहा, इस्तीफा दें

फिनस्टीन साल 1992 से कैलिफोर्निया की प्रतिनिधित्व करती रही हैं। हालांकि पिछले दो साल से उनकी सीट पर बने रहने की क्षमता को लेकर बहस होती रही है। सीनेटर के सहयोगी भी मानते हैं कि उनकी याद्दाश्त कम हो रही है और वह पहचानने की क्षमता घट रही है।

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने अपनी ही पार्टी की 89 वर्षीय डेमोक्रेट सीनेटर डायने फिनस्टीन से इस्तीफे की मांग की है। खन्ना ने ट्वीट करके लिखा कि निर्वाचित प्रतिनिधि अगर जरूरी मुद्दों को उठाने के बजाय चुप्पी साध लेते हैं, यह उनकी विश्वसनीयता को कम करता है। हमें देश को निजी वफादारी से आगे रखने की जरूरत है। भले ही सेनेटर फिनस्टीन ने लंबा सार्वजनिक जीवन बिताया हो, लेकिन अब वह अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में उनके लिए इस्तीफा देने का यह बिल्कुल सही समय है। मिनेसोटा से सांसद डीन फिलिप्स ने भी खन्ना की बात का समर्थन किया है। हालांकि कुछ नेता इस पर सवाल भी उठा रहे हैं।

फिनस्टीन साल 1992 से कैलिफोर्निया की प्रतिनिधित्व करती रही हैं। Photo by MIKE STOLL / Unsplash

फिनस्टीन साल 1992 से कैलिफोर्निया की प्रतिनिधित्व करती रही हैं। हालांकि पिछले दो साल से उनकी सीट पर बने रहने की क्षमता को लेकर बहस होती रही है। सीनेटर के सहयोगी भी मानते हैं कि उनकी याद्दाश्त कम हो रही है और वह पहचानने की क्षमता घट रही है। फरवरी में फिनस्टीन दाद की बीमारी की वजह से छुट्टियों पर चली गई थीं। 12 अप्रैल को उन्होंने सीनेट की जुडिशरी कमिटी से अस्थायी रूप से हटने की घोषणा की थी और बहुमत के नेता चक शूमर से कहा था कि उनकी गैरमौजूदगी में किसी और की नियुक्ति की जा सकती है।

खन्ना द्वारा फिनस्टीन के इस्तीफे की मांग को सदन की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी ने पूर्वाग्रह से प्रेरित और लिंगभेद वाला बयान करार दिया है। पेलोसी ने एक चैनल से कहा कि सेनेटर फिनस्टीन 20 वर्षों से कैलिफोर्निया की चैंपियन रही हैं। मैंने देश के लिए उनके नेतृत्व को करीब से देखा है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कैलिफोर्निया राज्य के लिए उनका योगदान। उन्हें ठीक होने और काम पर वापस आने के लिए थोड़ा समय और सम्मान दिया जाना चाहिए। पेलोसी ने आगे कहा कि मुझे नहीं पता कि कौन से राजनीतिक एजेंडा की वजह से सेनेटर फिनस्टीन को निशाना बनाया जा रहा है। मैंने कभी नहीं देखा कि उन्होंने इस तरह बीमार पड़े किसी पुरुष राजनेता पर सवाल उठाए हों।

न्यूयॉर्क टाइम्स  ने रिपोर्ट दी है कि फिनस्टीन फरवरी से लेकर अब तक 58 सीनेट वोटों से चूक गई हैं और डेमोक्रेट न्यायिक नामांकन पर आगे नहीं बढ़ना चाहते हैं। खन्ना ने स्पेक्ट्रम न्यूज को दिए बयान में कहा कि टेक्सास के जज मैथ्यू कास्मैरिक द्वारा पिछले सप्ताह गर्भपात की दवा मिफेप्रिस्टोन को मिली एफडीए की मंजूरी पलटने के फैसले के बाद फिनस्टीन के पद छोड़ने की जरूरत बढ़ गई है। इससे साफ है कि सीनेटर फिनस्टीन लोगों की भलाई के लिए अपने दायित्वों की पूर्ति नहीं कर पा रही हैं।

फिनस्टीन फरवरी में घोषणा कर चुकी हैं कि वह इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगी जो 3 जनवरी 2025 तक चलेगा। जल्द ही खाली होने वाली सीटों पर कैलिफोर्निया के कई राजनेता पहले ही अपनी दावेदारी ठोक चुके हैं। इनमें हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एडम शिफ, केटी पोर्टर और सदन के सबसे प्रगतिशील सदस्यों में से एक बारबरा ली शामिल हैं।

खन्ना ने फरवरी में न्यू इंडिया अब्रॉड से बातचीत में कहा था कि वह फिनस्टीन की सीट के लिए चुनाव लड़ने की दावेदारी पर विचार कर रहे हैं लेकिन पहल वह यह देखना चाहेंगे कि ली का अभियान जोर पकड़ रहा है या नहीं। मैं सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि उनका अभियान मजबूत है और जीतने के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं। हाल ही में कांग्रेसनल कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स के सह अध्यक्ष नियुक्त किए गए खन्ना ने कहा था कि अगर वह इस महीने के अंत तक अपना फैसला जाहिर कर देती हैं तो यह मेरे फैसले पर भारी पड़ेगा।

बर्कले आईजीएस के फरवरी में कराए गए सर्वेक्षण में शिफ और पोर्टर की ली और खन्ना पर बढ़त दिखाई गई थी। शिफ 22 प्रतिशत के साथ सबसे आगे थे। पोर्टर को 20 प्रतिशत जबकि ली को 6 प्रतिशत और खन्ना को 4 प्रतिशत ही समर्थन बताया गया था। सर्वेक्षण में शामिल 39 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने कहा था कि अभी वे अपनी राय को लेकर अनिश्चित हैं। 8 प्रतिशत ने कहा था कि वे इन चार नेताओं के अलावा किसी अन्य को वोट देंगे। 10 में से छह मतदाताओं का कहना था कि वह ली या खन्ना के बारे में कोई राय नहीं देना चाहते। कहा जा रहा है कि सीनेट का यह चुनाव देश में सबसे महंगा चुनाव साबित हो सकता है। इस पर 200 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च आने का अनुमान लगाया गया है।

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