रक्तदान प्राणदान से कम नहीं है इसीलिए इसे दुनिया का सबसे बड़ा दान माना जाता है। सऊदी अरब के प्रमुख सामाजिक सांस्कृतिक संगठन दिशा (DISHA) ने भी इसी उद्देश्य के साथ सऊदी स्थापना दिवस समारोह के उपलक्ष्य में रक्तदान शिविर का आयोजन किया। यह आयोजन दिशा की रियाद क्षेत्रीय समिति के अंतर्गत यूनिट काउंसिल की अगुआई में किया गया।
अलखर्ज यूनिट काउंसिल ने किंग खालिद हॉस्पिटल और प्रिंस सुल्तान सेंटर फॉर हेल्थ के सहयोग से रक्तदान शिविर लगाया। शिफा, इश्कान यूनिट काउंसिल द्वारा किंग सऊद यूनिवर्सिटी मेडिकल सिटी रियाद के सहयोग से इसका संचालन किया गया। रियाद के अलखर्ज में आयोजित शिविर की शुरुआत सऊदी नागरिक फैयेज अलशेरी ने रक्तदान करके की।
शिविर का उद्घाटन डॉ अनवर खुर्शीद ने किया। रक्तदान शिविर में विभिन्न देशों के तमाम लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान टीम का नेतृत्व वैथी मुरुगन, विनोद कुमार, मनु सी मधु, दीपा श्रीकुमार, पवित्रा वैथी, सुधीश, राजेश मुलाविटिल और वी. उन्नीकृष्णन ने किया।
चिकित्सकों का कहना है कि 18 से 60 वर्ष तक आयु का कोई भी स्वस्थ्य व्यक्ति वर्ष में चार बार खून दे सकता है। एक यूनिट खून से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। रक्तदान करने से शरीर में कोई कमजोरी नहीं आती है। रक्तदान के बाद मानव शरीर में तेजी से रक्त बनना शुरू हो जाता है।
मौजूदा समय में खान-पान की कमी और अशुद्ध पेयजल की वजह से लोगों में अक्सर खून की कमी रहती है। महिलाओं में इसकी कमी ज्यादा देखने को मिलती है। दुर्घटनाओं और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को खून चढ़ाकर उनकी जान बचाई जा सकती है। इसीलिए रक्तदान को महादान कहा जाता है।