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कश्मीरी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में उठी आवाज

जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र में विशेष रिपोर्टेयर मैरी लॉलर ने उनकी रिहाई की मांग की है।

संयुक्त राष्ट्र में विशेष रिपोर्टेयर मैरी लॉलर ने जम्मू-कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी की निंदा की।सांकेतिक Photo by Markus Spiske / Unsplash

संयुक्त राष्ट्र में स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ और विशेष रिपोर्टेयर मैरी लॉलर ने जम्मू-कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कश्मीरी मानवाधिकार रक्षकों को रिहा करने और उनके खिलाफ चल रही जांच बंद करने की मांग की है।

टेटर फंडिंग मामले में हिरासत में बंद जाने माने मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज साजिश रचने और आतंकवाद से जुड़े आरोपों में एक साल से अधिक समय से हिरासत में थे। बुधवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी के बाद मैरी लॉलर ने बयान जारी करके कहा कि भारत को कश्मीरी कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई तुरंत रोकनी चाहिए। उन्होंने भारतीय अधिकाररियों पर कश्मीरी समाज के लोगों के गंभीर दमन का आरोप भी लगाया।

आतंकवाद से जुड़े आरोपों में नवंबर 2021 से पहले से हिरासत में कैद खुर्रम परवेज को भारत की मुख्य आतंकवाद विरोधी संस्था राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दो दिनों की पूछताछ के बाद 22 मार्च को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया था। उन पर श्रीनगर के एक एनजीओ जम्मू-कश्मीर गठबंधन ऑफ सिविल सोसाइटी (जेकेसीसीए) के साथ काम करने और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवाद के वित्तपोषण का आरोप था।

परवेज की गिरफ्तारी से पहले जेकेसीसीएस के एक पूर्व सहयोगी, मानवाधिकार रक्षक और पत्रकार इरफान महराज को इसी मामले में 20 मार्च को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था। मैरी लॉलर ने आरोप लगाया कि जेकेसीसीएस के पूर्व सहयोगियों और स्वयंसेवकों को अधिकारियों की जबरदस्ती और धमकी का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि जेकेसीसीएस मानवाधिकारों पर निगरानी का काम करता है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद विरोधी ढांचे के साथ-साथ मूलभूत मुद्दे और मानवाधिकार रक्षकों को बदनाम करने और उन्हें चुप कराने के मामले पर बातचीत करने के लिए सरकार को बार-बार कहा गया है। उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और हिरासत को मनमाना कदम करार देते हुए कहा कि इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।

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