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हिंदूफोबिया के खिलाफ US के इस राज्य में प्रस्ताव पारित, बताया विनाशकारी

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदूफोबिया को कुछ ऐसे लोगों द्वारा बढ़ावा देकर संस्थागत रूप दिया जा रहा है जो हिंदू धर्म के विघटन का समर्थन करते हैं। ये लोग हिंसा और उत्पीड़न के लिए हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों और सांस्कृतिक प्रथाओं का आरोप लगाते हैं।

हिंदू धर्म के प्रति बढ़ती हिंसा को देखते हुए अमेरिका के जॉर्जिया राज्य ने हिंदूफोबिया और हिंदू-विरोधी कट्टरता की निंदा करते हुए एक काउंटी प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव में जॉर्जिया में भारतीय अमेरिकियों और हिंदू अमेरिकियों के योगदान को भी मान्यता दी गई है। कोअलिशन ऑफ हिंदूज ऑफ नॉर्थ अमेरिका (CoHNA) के अटलांटा चैप्टर ने इस प्रस्ताव के पारित होने में अहम भूमिका निभाई।

प्रस्ताव में जॉर्जिया में भारतीय अमेरिकियों और हिंदू अमेरिकियों के योगदान को भी मान्यता दी गई है।

जॉर्जिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स द्वारा पारित इस प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि हिंदू धर्म दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने धर्मों में से एक है। इसके 1.2 अरब से अधिक अनुयायी हैं जो 100 से अधिक देशों में रहते हैं। हिंदूफोबिया यानी सनातन धर्म (हिंदू धर्म) और हिंदुओं के प्रति विरोधी और विनाशकारी सोच है। इस सोच की वजह से देश (अमेरिका) के कई हिस्सों में पिछले कुछ दशकों में हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध देखने को मिले हैं।

प्रस्ताव में रटगर्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ‘एंटी-हिंदू 21 डिसइंफॉर्मेशन: ए केस स्टडी ऑफ हिंदूफोबिया ऑन सोशल मीडिया’ का भी जिक्र है जिसमें विस्तार से बताया गया था कि कैसे सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेश हिंदू धर्म के लोगों के लिए वास्तविक जीवन के खतरों में बदल जाते हैं। यह रिपोर्ट जुलाई 2022 में जारी की गई थी।

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदूफोबिया को कुछ ऐसे लोगों द्वारा बढ़ावा देकर संस्थागत रूप दिया जा रहा है जो हिंदू धर्म के विघटन का समर्थन करते हैं। ये लोग हिंसा और उत्पीड़न के लिए हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों और सांस्कृतिक प्रथाओं का आरोप लगाते हैं।

प्रस्ताव के अंत में लिखा है कि जॉर्जिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में फोर्सिथ काउंटी के प्रतिनिधि हिंदूफोबिया, हिंदू-विरोधी कट्टरता और असहिष्णुता की निंदा करते हैं और फोर्सिथ काउंटी को एक ऐसे स्थान के रूप में घोषित करते हैं जो हिंदू अमेरिकियों द्वारा लाई गई विविधता का स्वागत करता है। ये हिंदू अमेरिकी कड़ी मेहनत करते हैं, कानूनों का पालन करते हैं, पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखते हैं और हमारे आर्थिक व सामाजिक कल्याण में योगदान करते हैं।

प्रस्ताव में योग, आयुर्वेद, ध्यान, भोजन, संगीत और कला के हिंदू योगदान को भी मान्यता दी गई है। कहा गया है कि इन्होंने अमेरिका के सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध किया है। इसे अमेरिकी समाज में व्यापक रूप से अपनाया गया है और इससे लाखो लोगों का जीवन समृद्ध हुआ है। अमेरिका स्थित हिंदू समर्थक समूह CoHNA के अनुसार अटलांटा के उपनगरों में फोर्सिथ काउंटी सबसे बड़े हिंदू अमेरिकी और भारतीय अमेरिकी प्रवासी समुदायों में से एक है।

यह प्रस्ताव CoHNA द्वारा 22 मार्च को जॉर्जिया स्टेट कैपिटल में आयोजित प्रथम हिंदू एडवोकेसी डे की पृष्ठभूमि में पेश किया गया, जहां लगभग 25 कानून निर्माता  जिनमें रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों शामिल थे, हिंदू समुदाय की चिंताओं को समझने के लिए जमा हुए थे। इस दौरान भेदभाव के खिलाफ समुदाय की रक्षा के उपाय करने और राज्य के महत्वपूर्ण फैसलों में हिंदुओं की आवाज को शामिल करने का संकल्प लिया गया था।

एडवोकेसी डे समारोह में CoHNA के अलावा BAPS, हिंदू स्वयंसेवक संघ, उमिया माता मंदिर, श्री शक्ति मंदिर, सेवा इंटरनेशनल, विश्व हिंदू परिषद ऑफ अमेरिका (VHPA) के स्थानीय नेताओं और अन्य लोगों ने भाग लिया। सीनेटर इमैनुएल जोन्स ने ब्लैक कॉकस के अन्य सदस्यों के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। अन्य सांसदों में सीनेटर शॉन स्टिल, सीनेटर क्लिंट डिक्सन, सीनेटर शेख रहमान, सीनेटर ब्रैंडन बीच और सीनेटर ब्रायन स्ट्रिकलान शामिल थे।

प्रतिनिधि मैकडोनाल्ड और जोन्स के अलावा कार्यक्रम में कई अन्य प्रतिनिधियों ने भी समुदाय के साथ बातचीत की, जिसमें गेबे ओकोए, कार्टर बैरेट, ब्रेंट कॉक्स, स्कॉट हिल्टन, लॉन्ग ट्रान, शेरोन कूपर, सोलोमन अदेसान्या, मैट रीव्स, डेविड क्लार्क शामिल थे। CoHNA के उपाध्यक्ष राजीव मेनन ने इस ऐतिहासिक प्रस्ताव और बेहद व्यस्तता के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया।

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