उत्तरी अमेरिका में फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन (FIACONA) ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में कथित तौर पर धर्मांतरण कराने के आरोप में पकड़े गए ईसाई दंपती को रिहा करने की मांग की है। एसोसिएशन धार्मिक स्वतंत्रता के हित में काम करने वाला संगठन है।
संगठन की ओर से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रेव. संतोष अब्राहम और उनकी पत्नी जिगी को रिहा करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में सक्रिय एक संगठन के पदाधिकारी की तरफ से कथित दंपती के ऊपर जबरन धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया गया है। कहा गया कि शायद अभियुक्त दंपती निर्धारित तारीख पर अदालत में सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो पाए, इसलिए उन्हें हिरासत में भेज दिया गया होगा।
FIACONA के अध्यक्ष जॉर्ज कोशी ने आरोप लगाया कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों गंभीर खतरे में हैं। ये भी कहा कि ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में शायद ही कभी किसी को जबरन धर्मांतरण के लिए दोषी ठहराया गया हो। भारतीय ईसाइयों का इस तरह उत्पीड़न और उन्हें डराना उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इस मामले में अथॉरिटीज का चुप रहना भी अन्याय को मौन स्वीकृति देने की तरह है।’
उन्होंने आरोपों में कहा, ऐसा लगता है कि संघ परिवार का कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने में जाकर जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत दर्ज करा सकता है और निर्दोष लोगों को अनिश्चित काल के लिए कैद किया जा सकता है। ऐसा लगता है कि आरोप लगने पर ही आरोपी को एक तरह से दोषी मान लिया जाता है और उसे अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मजबूर किया जाता है।
उन्होंने कहा कि यह भारत के संविधान में उल्लखित उन शब्दों और उसकी भावना के खिलाफ है, जिसमें किसी भी धर्म को मानने के अधिकार की गारंटी दी गई है। आरोप लगाया गया है कि भारत में ईसाई समुदाय को डराने-धमकाने और हाशिए पर धकेलने की साजिश हो रही है। इसके लिए संघ परिवार के कार्यकर्ता उत्साह में हैं। शायद अधिकारियों ने इसे मौन स्वीकृति भी दे दी है।
FIACONA ने अधिकारियों से रेव. अब्राहम और उनकी पत्नी जिजी के मामले में हस्तक्षेप करने, उन्हें तुरंत रिहा करने और उन्हें अपना पक्ष साबित करने के लिए उचित साधन मुहैया कराने का भी आग्रह किया है।