कनाडा में कुछ भारतीय छात्रों ने आरोप लगाया है कि वहां उनका इस्तेमाल सस्ते मजदूर की तरह किया जा रहा है। जरूरत न रहने पर उन्हें निकाल दिया जाता है। यह आरोप ऐसे समय सामने आए हैं, जब श्रमिकों की कमी और ऊंची बेरोजगारी दर झेल रहे कनाडा ने एक नई योजना की घोषणा की है जिसका लक्ष्य देश में श्रमिकों की भारी कमी की पूर्ति करना है।
बता दें कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने देश में पहले से मौजूद पांच लाख से अधिक विदेशी छात्रों के लिए काम के घंटे बढ़ाने और स्नातक होने के बाद 18 महीने तक रहने के परमिट जैसी सुविधाओं के विस्तार की शुरुआत की थी। हालांकि एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इनमें से काफी लोगों को काम करने के दर्जे के बिना या देश में रहने के अधिकार के बिना ही छोड़ दिया गया है।