लंदन की क्वीन कैमिला ने ब्रिटिश भारतीय जासूस नूर इनायत खान के एक चित्र का अनावरण किया है। जानकारी के अनुसार विशेष सम्मान के तहत महारानी ने लंदन स्थित रॉयल एयर फोर्स (RAF) क्लब में नूर इनायत के चित्र का अनावरण किया। नूर इनायत खान ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के स्पेशल ऑपरेशंस एक्जीक्यूटिव (SOE) के लिए अंडरकवर एजेंट के रूप में काम किया था। नूर टीपू सुल्तान की वंशज थीं।
Today, The Queen unveiled a portrait of Secret Operations Executive, Noor-un-Nisa Inayat Khan at the @RoyalAirForce.
— The Royal Family (@RoyalFamily) August 29, 2023
Khan was the first female wireless operator to be dropped into enemy-occupied France to support the French Resistance during WWII. pic.twitter.com/ZXg4QNy7AX
शाही खानदान की वरिष्ठ सदस्या कैमिला ने औपचारिक रूप से RAF क्लब के एक कक्ष का नाम 'नूर इनायत खान' रखा। इस कक्ष में RAF में योगदान देने वाली महिलाओं की तस्वीरें लगाई गई हैं। इसका उद्घाटन उनकी सास व तत्कालीन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 2018 में किया था।

नूर रॉयल एयर फोर्स की शाखा महिला सहायक वायु सेना (WAAF) की सदस्य थीं। उन्हें 1942 में SOE में भर्ती किया गया था। इतना ही नहीं, विशिष्ट साहस के लिए उन्हें जॉर्ज क्रॉस (GC) से भी सम्मानित किया गया था। GC असाधारण वीरता के लिए या अत्यधिक खतरे की परिस्थितियों में विशिष्ट साहस के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है।

समारोह के दौरान ब्रिटिश भारतीय लेखिका श्राबनी बासु ने क्वीन कैमिला को नूर इनायत खान की जीवनी ‘स्पाई प्रिंसेस: द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ भेंट की। बासु ने कहा कि RAF क्लब में क्वीन कैमिला द्वारा नूर इनायत खान के चित्र का अनावरण करना गर्व का क्षण है। खास तौर से मेरे लिए नूर की कहानी बताना सौभाग्य की बात है। यह अद्भुत चित्र अब कई युवा पुरुष और महिलाएं पीढ़ियों तक देखेंगे। नूर की कहानी कभी नहीं भुलाई जाएगी।
RAF क्लब में नूर के नए चित्र का अनावरण उनके रिश्तेदारों की उपस्थिति में किया गया। इस मौके पर उनके चचेरे भाई शेख महमूद (95) और भतीजे पीर जिया इनायत खान मौजूद रहे। 1914 में मॉस्को में एक भारतीय सूफी संत पिता और अमेरिकी मां के घर जन्मी नूर-उन-निसा इनायत खान पेरिस में बसने से पहले अपने स्कूल के लिए कम उम्र में लंदन चली गईं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस के पतन के बाद वह इंग्लैंड भाग गईं और WAAF में शामिल हो गईं।