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समलैंगिक विवाह को कानून बनाने के सम्मान में मनेगा 'प्यार है प्यार'

यह एक्ट 'डिफेंस ऑफ मैरिज एक्ट' को निरस्त करता है। इस एक्ट में समलैंगिक विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह कार्यक्रम मनीष गोयल और अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के स्वामित्व वाले न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में मौजूद मिशेलिन स्टार रेस्तरां सोना में आयोजित किया जाएगा।

यूएस कांग्रेस द्वारा पारित किए गए ‘रेस्पेक्ट फॉर मैरिज एक्ट’ के लिए अमेरिका में कई भारतीय हस्तियां और प्रमुख LGBTQ+कार्यकर्ता 16 फरवरी की शाम जश्न मनाने के लिए एकजुट होंगे। इसे 'प्यार है प्यार' नाम दिया गया है, जिसे देसी रेनबो पेरेंट्स एंड अलाइज नाम के गैर-लाभकारी संगठन द्वारा समर्थन दिया गया है। बता दें कि यूएस कांग्रेस द्वारा द्वि-दलीय वोट के साथ पारित किए गए इस एक्ट पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल दिसंबर में हस्ताक्षर किए थे। मैकिन्से, ड्यूश बैंक और मास्टरकार्ड सहित कई कॉरपोरेशन इस आयोजन को प्रायोजित कर रहे हैं।

यह एक्ट 'डिफेंस ऑफ मैरिज एक्ट' को निरस्त करता है। इस एक्ट में समलैंगिक विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। देसी रेनबो पेरेंट्स एंड अलाइज दक्षिण एशियाई LGBTQ+लोगों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करता है। इस संगठन का यह कार्यक्रम मनीष गोयल और अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के स्वामित्व वाले न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में मौजूद मिशेलिन स्टार रेस्तरां सोना में आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में सरिता चौधरी, टैन फ्रांस, जे सीन और कनाडाई फिल्म निर्देशक निशा गनात्रा समेत लगभग 150 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। डीजे रेखा कार्यक्रम में संगीत देंगी।

मास्टरकार्ड सेंटर फॉर इनक्लूसिव ग्रोथ की संस्थापक और अध्यक्ष शमीना सिंह 

मास्टरकार्ड सेंटर फॉर इनक्लूसिव ग्रोथ की संस्थापक और अध्यक्ष शमीना सिंह ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया कि मैरिज एक्ट के सम्मान का मार्ग वास्तव में दक्षिण एशियाई संस्कृति में हममें से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां विवाह सर्वव्यापी है और आपकी चेतना में बहुत कम उम्र में प्रवेश करता है।

एशले लिन बेल से शादी करने वाले सिंह ने कहा कि तथ्य यह है कि समलैंगिक विवाह को कानून में लिखित रूप से शामिल किया गया है। ऐसे में यह विशेष रूप से एक ऐसे समुदाय के लिए जश्न मनाने की जरूरत है जिनके लिए शादी को हमेशा एक स्तंभ पर रखा गया है। बता दें कि एशले लिन बेल और सिंह की शादी को न्यूयॉर्क टाइम्स ने साल 2007 में प्रकाशित किया था।

देसी रेनबो की संस्थापक अरुणा राव

देसी रेनबो की संस्थापक अरुणा राव ने कहा कि पिछले एक साल में देश भर के राज्य विधायकों में 300 से अधिक LGBTQ विरोधी बिल पारित किए गए हैं। यह समुदाय के लिए सबसे बुरा दौर है। खासकर युवाओं के लिए।

मालूम हो कि राव को अपने बेटे के बारे में पहली बार हाई स्कूल में पता चला था कि वो गे है। वह कॉलेज में ट्रांसजेंडर बना। इसके बाद ही उन्होंने संगठन की स्थापना की थी। वह कहती हैं कि मैं खुद को काफी खुले विचारों वाला व्यक्ति मानती थी। लेकिन एक भारतीय अमेरिकी माता-पिता के रूप में और एक अप्रवासी के रूप में यह मेरे लिए एक झटका था। यह मेरे बच्चे के लिए मेरे कई सपनों की मौत जैसा महसूस हुआ।

राव ने कहा कि मेरे लिए यह समझना एक अकेली और कठिन प्रक्रिया थी कि मुझे अपने बच्चे का समर्थन कैसे करना चाहिए और मुझे खुद का समर्थन कैसे करना चाहिए और इसके बाद मैंने संसाधनों की तलाश की तो पाया कि कहीं कुछ भी नहीं था। राव बताती हैं कि जब मैं एक ऐसी जगह पर पहुंच गई जहां मैं अपने बच्चे के साथ सहज थी तब मैंने फैसला किया कि मुझे समुदाय के लिए कुछ शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समुदाय बहुत अलग-थलग है। LGBTQ पहचान होना इतना बड़ा कलंक, डर और शर्म की बात मानी जाती है कि परिवार अपने बच्चों के साथ गलत व्यवहार कर बैठते हैं।

राव ने बताया कि अब संगठन लगभग 2000 लोगों की सेवा करता है। महामारी के दौरान कई परिवार वर्चुअली भी संगठन से जुड़े थे। इन परिवारों को वास्तव में प्रोत्साहन, समर्थन, मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है। उन्हें पता लगाने की जरूरत है कि वह अपने बच्चों को कैसे समर्थन करें। राव कहती है कि अब यह संगठन एक राष्ट्रीय आंदोलन की तरह मेरे सपनों से भी जुड़ गया है।

मनीष.के.गोयल

वहीं मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव एंड्रयू विंगरोव से शादी करने वाले मनीष के. गोयल ने पिछले साल जून में डोब्स बनाम जैक्सन महिला स्वास्थ्य संगठन के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रजनन अधिकारों को रद्द करने के बाद सभी नागरिक अधिकारों की अनिश्चितता पर कहा कि अब कुछ है जिसका हम जश्न मना सकते हैं लेकिन अभी बहुत काम करना है।

गोयल अपने पिता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। उनके अप्रवासी पिता जेरॉक्स इंजीनियर थे। उन्होंने टेक्सास में पहला भारतीय रेस्तरां खोला था। वह कहते हैं कि मेरा लड़कपन उस रेस्तरां में बीता था। मैंने तय किया था कि मैं भी एक दिन वही करूंगा जो मेरे पिता ने किया। हालांकि मुझे चार दशक लग गए।

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