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उत्तरी अमेरिका में BAPS प्रमुख स्वामी महाराज के जन्मशती कार्यक्रमों की धूम

प्रमुख स्वामी महाराज लगभग 65 वर्षों तक बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख रहे थे। उनका पूरा जीवन आम जनमानस के उत्थान और उनके अंदर आध्यात्मिकता की भावना जगाने के लिए समर्पित रहा। परम शांति कार्यक्रम सभी उम्र के स्वयंसेवकों की हजारों घंटों की योजना और तैयारी से साकार हुआ है।

स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख स्वामी महाराज की जन्मशती समारोह के अंतर्गत पूरे उत्तरी अमेरिका में BAPS केंद्रों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उनके जीवन आदर्शों और 'परम शांति' के प्रति मार्गदर्शन को याद करते हुए अब तक विभिन्न शहरों में 133 कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है जिनमें शामिल होकर 1,16,000 से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।

प्रमुख स्वामी महाराज लगभग 65 वर्षों तक बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख रहे थे। उनका पूरा जीवन आम जनमानस के उत्थान और उनके अंदर आध्यात्मिकता की भावना जगाने के लिए समर्पित रहा। परम शांति कार्यक्रम सभी उम्र के स्वयंसेवकों की हजारों घंटों की योजना और तैयारी से साकार हुआ है। इसके तहत नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रमुख स्वामी महाराज की यात्राओं और लोगों के साथ समागम की ऐतिहासिक वीडियो और ऑडियो फुटेज दिखाई-सुनाई जाती हैं।

इसके अलावा जीवन की चुनौतियों और क्लेशों का सामना कर रहे लोगों के समक्ष बच्चे, किशोरों और वयस्कों द्वारा मनोहारी नाटकों का मंचन किया जाता है। महाराज की कृपा पाने वाले लोग अपने अनुभवों और साक्षात्कार के बारे में बताते हैं। कार्यक्रम में तीन गुणों विनम्रता, प्रेम और विश्वास में से हरेक के बारे में अलग-अलग भाग में में बात की जाती है। इन्हीं तीन गुणों के जरिए प्रमुख स्वामी महाराज ने 'परम शांति' को मूर्त रूप दिया था।

बीएपीएस के कार्यक्रमों में बहुत सी हस्तियां शामिल होती हैं। न्यूयॉर्क के कार्यक्रम में मेयर एरिक एडम्स ने कहा कि अब हम सभी के लिए प्रमुख स्वामी महाराज की शिक्षाओं को जीवन में उतारने का समय आ गया है। हमें उन्हीं की तरह विनम्रता, विश्वास और प्रेम के स्तर को हासिल करना होगा।

टोरंटो में आयोजित प्रोग्राम को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि महाराज जी ने कनाडा और पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी है और हमेशा इसी संदेश का प्रचार करते रहे कि "दूसरों की खुशी में ही हमारी अपनी खुशी है।"

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