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पुरानी दिल्ली की इन हवेलियों को जरा देख तो लें!

पुरानी दिल्ली याद आते ही भीड़ भरी दुनिया समझ में आती है, जहां कब्जों की भरमार है और लोग नारकीय जीवन जी रहे हैं। लेकिन इस वॉल्ड सिटी का अलग रूप भी है। वहां की कुछ हवेलियां जो आपका मन मोह लेंगी। अगर जर्जर भी हैं ये हवेलियां तो भी इनका गुरूर नजर आता है।

डॉ. रामेश्वर दयाल

जब भी पुरानी दिल्ली की बात करेंगे तो वहां की हवेलियों, कटरों, गली, कूंचों की याद जरूर आएगी। बदलते वक्त के साथ पुरानी दिल्ली में बदलाव हुआ है, हवेलियों व कटरों के मूल स्ट्रक्चर भी बदल गए हैं। लेकिन वहां अभी भी कुछ ऐसी हवेलियां, कटरे आदि बाकी हैं, जिनका मूल रूप पहले ही तरह ही दिखाई देता है। वैसे ज्यादातर हवेलियों में कमर्शल गतिविधि हो रही है, तो ऐसी भी हवेलियां हैं, जिनका नाम ही बचा है। इसके बावजूद पुरानी दिल्ली घूमेंगे तो किसी गली, सड़क पर पुराने वक्त की हवेली के दर्शन हो ही जाएंगे।

आज भी ऐसे नजर आती हैं सेठ छुन्नामल की हवेली

सरकारी बात करें तो भारत सरकार की हेरिटेज संरक्षण समिति (एचसीसी) और इन्टेक ने पुरानी दिल्ली के करीब 200 से अधिक ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों, हवेलियों आदि को हेरिटेज इमारतों में शामिल किया है। हम अगर पुरानी दिल्ली में खुद विचरण करेंगे तो हवेलियों में छुन्नामल की हवेली, खजांची की हवेली, हवेली धर्मपुरा, बेगम समरू और हवेली आजम खान के नाम आज भी दिख जाएंगे। इसी तरह कूंचा पातीराम, घासीराम, कूंचा चेलान, काबली अतर, कूंचा रहमान और बुलाकी बेगम में भी छोटी-बड़ी हवेलियां दिखेंगी। लेकिन इनमें से अधिकतर का मूल स्वरूप गायब होता जा रहा है और वहां बेतरतीब मकान या दुकानें नजर आने लगी हैं।

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