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प्रवासियो ने मनाया सिडनी में आस्था और विश्वास का महापर्व छठ

सिडनी में भी समुन्दर के किनारे जब दियो की क़तार लगी तो तूफानी हवा भी उस आस्था विश्वास और भक्ति की लौ को बुझा नहीं पाई जैसे छठी मैया खुद उसकी रक्षा कर रही हो

छठ विश्वास आस्था और भक्ति का पर्व आज दुनिया के हर कोने में पूरी श्रद्धा से मनाया जाता है और इस बार सिडनी में भी ये पूर्ण श्रद्धा से मन या गया। 18 नवम्बर खरना से शुरू इस पर्व में 19 नवम्बर की शाम को प्रवासियो ने पहला अर्घ दिया और 20 नवम्बर की सुबह को दूसरा अर्घ दिया गया।

खरना का दिव्य प्रशाद photo by Ruma Abhinav

हिंदू धर्म में छठ पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है। यह महापर्व मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश राज्य में मनाया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उसके स्वास्थ्य, उज्जवल भविष्य और सुखमय जीवन की कामना के साथ रखा जाता है। यह व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रखा जाता है। इस दौरान व्रती चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल व्रत रखते हैं। छठ पूजा का मुख्य व्रत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है लेकिन इस पर्व की शुरुआत चतुर्थी तिथि से ही हो जाती है और सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद इसका समापन होता है।

सांस्कृतिक धरोहर को भक्ति पूर्वक निभाते लोग Photo by Mrityunjay Singh

सिडनी में भी रविवार की शाम की संध्या अर्घ्य और सोमवार की सुबह उषा अर्घ्य रामसगेट बीच पर दिया गया। हर साल यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है रामसगेट बीच पर छठ पूजा का यह 12वां वर्ष है। यहां माहौल छठी मैया के प्रभाव से ओतप्रोत दिखा। सूरज देवता की लाली और पारम्परिक परिधान में प्रवासियों का इक साथ होना आप को इस बात का एहसास ही नहीं होने देता है की आप अपनी मातृभूमि से दूर हैं। समुन्दर के किनारे पर जहां बच्चे परिवार के साथ काम में हाथ बटाते दिखे वहीं महिलाएं भी संध्या अर्घ्य के वक्त पारंपरिक गाने से छठी मैया का स्वागत करते हुए दिखी।

आस्था और विश्वास का दिया जलाते भक्त Photo by Mrityunjay Singh

सोमवार की सुबह उषा अर्ग के समय जब सूर्य दे की लालिमा के साथ अर्घ्य दिए जिसे देखा ऐसा लग रहा था की जैसे स्वर्ग से देवी देवता जैसे खुद ही उतर आये हो इस पावन बेला का हिस्सा बनने के लिए। छठ पूजा का महात्म्य और छठी मैया के प्रभाव से पूजा अर्चना के दौरान जाने अनजाने सभी लोग सिडनी के कोने कोने से पहुंचकर अर्ग देते हैं।

पूजा के बाद औरतों एक दूसरे को सिंदूर लगाते दिखी। छठ पूजा में नाक से पूरी मांग तक सिंदूर का ख़ास महत्व है। हिंदू धर्म में महिलाओं के 16 ऋंगार में से सिंदूर भी अपनी खास जगह रखता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं का नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक कारण है। ऐसी मान्यता है कि सुहागन औरतें अपने पति की लंबी आयु के लिए ऐसे सिंदूर लगाती है। सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये सिंदूर जितना लंबा होता है पति की उम्र भी उतनी ही लंबी होती है। सिंदूर पति की आयु के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि लाता है। महिलाएं छठ पर सूर्य देव की पूजा और छठी मैया परिवार में सुख-संपन्नता की प्रार्थना करते हुए इस परम पवन पर्व को मानती हैं।

पारम्परिक परिधान में सूर्य को अर्घ्य की तैयारी करते श्रद्धालु

सिडनी में भी समुन्दर के किनारे जब दियो की क़तार लगी तो तूफानी हवा भी उस आस्था विश्वास और भक्ति की लौ को बुझा नहीं पाई जैसे छठी  मैया खुद उसकी रक्षा कर रही हो। अपने भक्तों की आस्था को और अटूट करने के लिए भोग प्रसाद से भरे सुप को हाथ में लेकर भक्तों ने अर्घ दे कर जैसे खूब आशीर्वाद लिया कुछ ऐसा ही नजारा दिखा इस बार छठ पर जो हर किसी को भक्ति से भावविभोर  कर सकता है। सिडनी की बड़ी खास बात ये है छठ की पूजा पूरी होने पर यहां जो भी इक्छुक होता है उस के घर तक प्रसाद भक्त लोगों का समूह पहुंचा देता है और इस तरह से यहां कश्मीर से कन्या कुमारी तक के सभी लोग छठी मैया के इस पवन प्रसाद को ग्रहन करने का सौभग्य पाते हैं।

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