संतोष
कनाडा के साथ चल रहे राजनयिक विवाद मामले में भारत पर पश्चिमी देशों का दबाव बढ़ता दिख रहा है। अमेरिका और इंग्लैंड इस मामले में खुलकर कनाडा के साथ खड़े होते दिखाई दे रहे हैं। इन दोनों देशों ने भारत को सलाह दी है कि वह कनाडा के साथ राजनयिक मामले को सुलझाने के लिए उचित कदम उठाए।
अमेरिका और इंग्लैंड ने कहा है कि यह समझना होगा कि दोनों देश के बीच बेहतर रिश्तों के लिए राजनयिकों का जमीन पर होना जरूरी है। इससे दोनों देश के बीच संवाद का माध्यम बना रहता है। ऐसा नहीं होने पर संबंधित देशों के बीच रिश्ते बेहतर नहीं हो सकते हैं। ऐसे में यह प्रयास किया जाना चाहिए कि भारत इस मामले में कनाडा के साथ मिलकर इसका हल निकाले। यह वार्ता दोनों देशों को करनी चाहिए।

यह पहली बार नहीं है कि जब अमेरिका और इंगलैंड ने भारत और कनाडा को संबंध सुधारने की सलाह दी है। इससे पहले भी जब विदेश मंत्री अमेरिका में थे। उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री ने उनको सलाह दी थी कि दोनों देशों को यह मामला सुलझाना चाहिए। हालांकि उस समय भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसके जवाब में कहा था कि अगर कोई भारत पर अनर्गल आरोप लगाता है तो भारत को उसका जवाब देने का अधिकार है।
कनाडा विवाद मामले में अमेरिका और इंग्लैंड की यह नवीनतम सलाह भारत को ऐसे समय में मिली है, जब कनाडा ने अधिकारिक रूप से कहा है कि उसके 41 राजनयिकों को भारत ने अपना देश छोड़ने के लिए विवश कर दिया था। उसने कहा है कि इसके उपरांत उसने अपने इन सभी राजनयिकों को तत्काल दूसरे देशों में पदास्थापित कर दिया है। लेकिन यह वियना संधि का उल्लंघन है, जिसका प्रभाव भारत पर भी होगा। कनाडा ने कहा कि उसके भारत में 65 राजनयिक थे, जिसमें से 41 को उसने वापस बुला लिया है। इन राजनयिकों की कमी की वजह से उसे मुंबई, बंगलुरू और चंडीगढ़ काउंसलेट बंद करने पड़े हैं।
वहीं, भारत ने कहा है कि उसने वियना संधि या किसी अंतरराष्ट्रीय राजनयिक नियम का उल्लंघन नहीं किया है। उसने केवल यह तय किया है कि कनाडा और भारत में एक—दूसरे के राजनयिक एक समान संख्या में हो। यह नियम सम्मत है।