भारत के राजनैतिक माहौल में आजकल सनसनी का आलम है। संसद के लोकसभा सचिवालय ने देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि मानहानि के मामले में एक अदालत ने उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई है। कांग्रेस ने इस एक्शन के खिलाफ देशभर में आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है तो सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है और कहा है कि कोर्ट ने साबित किया है कि भारत की लोकतांत्रित व्यवस्था में कोई भी ऊपर नहीं है। सवाल यह है कि कांग्रेस के पास क्या कोई ऐसा कोई रास्ता बचा है, जिसके आधार पर वह अपने नेता राहुल गांधी की सदस्यता बरकरार रख सकती है?
लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार की दोपहर एक लिखित आदेश जारी किया, जिसमें राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द करने की जानकारी दी गई। सचिवालय के अनुसार यह कदम जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत उठाया गया है, जिसके अनुसार अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द की जा सकती है। यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि देश के राज्य गुजरात की सूरत कोर्ट ने गुरुवार को एक मानहानि के मामले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। इस आदेश के बाद शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी। कोर्ट ने जब उन्हें यह सजा सुनाई, तब उन्हें इस सजा से बचने के लिए 30 दिन का समय दिया था ताकि वह ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकें। लेकिन ऐसा करने से पहले ही सचिवालय ने उनकी सदस्यता खत्म कर दी।
देश की नरेंद्र मोदी सरकार व उनकी पार्टी बीजेपी के खिलाफ लगातार मुखर होकर बोलने वाले राहुल गांधी की संसद सदस्यता इतनी जल्दी चली जाएगी, ऐसा लग नहीं रहा था। लेकिन सूत्र बताते हैं कि सजा के आदेश के बाद अगर कांग्रेस का लीगल सेल तुरंत ऊपरी कोर्ट में जाकर इस सजा के खिलाफ याचिका दायर कर देता तो वह सांसद बने रह सकते थे। पूछा यह भी जा रहा है कि अब राहुल गांधी के पास विकल्प क्या है। वरिष्ठ वकील राजीव शुक्ला के अनुसार राहुल पास विकल्प खुले हुए हैं। वह अपनी सदस्यता रद्द होने के खिलाफ हाईकोर्ट में जाकर उसे चुनौती दे सकते हैं। अगर कोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले पर स्टे दे दिया तो उनकी सदस्यता बच जाएगी। लेकिन हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्टे दे दिया तो वह संसद सदस्य बने रह सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली तो राहुल गांधी को 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इनमें दो साल की उनकी सजा और जनप्रतिनिधि कानून के छह साल तक चुनाव न लड़ने का आदेश शामिल है।
राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर भारत की राजनीति में भूचाल जैसे हालात पैदा हो गए हैं। सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी व उनके सहयोगी दल इसके ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं तो विपक्षी पार्टी कांग्रेस व अन्य विरोधी दल आरोप लगा रहे हैं कि देश की सरकार निरंकुश तरीके से विपक्ष को खत्म करना चाहती है। बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि देश की लोकतांत्रित व्यवस्था से कोई भी ऊपर नहीं है। दूसरी ओर नेता अभिषेक मनु संघवी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि सभी जानते हैं कि राहुल गांधी संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह निडर होकर बोलते रहे हैं। वह इसकी कीमत चुका रहे हैं। उन्होंने कोर्ट के निर्णय को मोड़ते हुए इसे सरकार पर लाद दिया और कहा कि कांग्रेस इस आदेश के खिलाफ पूरे देश में तीव्र आंदोलन चलाएगी। उन्होंने दावा किया कि मोदी व उनकी सरकार जिस प्रकार से विपक्ष को दबाने का प्रयास कर रही है, उससे साफ जाहिर है कि इस सरकार का अंतिम समय आ गया है।