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अफ्रीका में प्रवासी भारतीयः अफ्रीका- भारत संबंधों की स्थायी कड़ी

अफ्रीका में प्रवासी भारतीय अब अफ्रीका और भारत के बीच मजबूत संबंधों में एक स्थायी कड़ी बन रहे हैं। भारतीय मूल के 30 लाख से अधिक लोग अफ्रीका संघ के देशों में रहते हैं।

अफ्रीका पहुंचे शुरुआती प्रवासी भारतीय डरबन में। फोटो साभारः The Gandhi-Luthuli Documentation Centre, University of Kwa-Zulu-Natal, South Africa

हिंद महासागर ने सदियों से भारत और अफ्रीका को जोड़ने का काम किया है। पुरातात्विक सबूतों के अलावा सिक्के, 'पेरिप्लस ऑफ द एरिथियन सी' जैसे प्राचीन ग्रंथ से यह साबित होता है कि पहली शताब्दी में भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार हुआ करता था, जो कई सदियों तक चलता रहा। औपनिवेशिक युग की शुरुआत और चलन में आने के बाद समुद्री जहाजों ने भारत और अफ्रीका के बीच संपर्कों को तेज किया था।

अफ्रीका में भारत की उपस्थिति का इस बात से भी पता चलता है कि अफ्रीका के अंदरूनी इलाकों में भारतीय सिक्के पाए गए हैं। इसके अलावा पूर्वी अफ्रीकी तट के किनारे बसी बस्तियां और व्यापारिक चौकियां भी इसका सीधा सा उदाहरण है। इतिहास कहता है कि पहले अफ्रीका में भारतीयों को गुलाम के रूप में लाया गया था, बाद में भारतीयों को खेती के लिए बतौर श्रमिक एक एग्रीमेंट के तहत लिया जाने लगा। हालांकि, बाद में भारत से व्यापारी, दस्तकार, क्लर्क, बिजनेसमैन और अकाउंटेंट आदि की भी आवाजाही शुरू हुई।

अफ्रीका में प्रवासी भारतीय अब अफ्रीका और भारत के बीच मजबूत संबंधों में एक स्थायी कड़ी बन रहे हैं। भारतीय मूल के 30 लाख से अधिक लोग अफ्रीका संघ के देशों में रहते हैं। इनमें एंग्लोफोन अफ्रीका में भारतीय आबादी की बड़ी संख्या है। जबकि अरब अफ्रीका, फ्रैंकोफोन और लूसोफोन में भी छोटे समुदाय के तौर पर भारतीय रह रहे हैं।

हालांकि, शुरुआती दौर में भारतीय अफ्रीका के पूर्वी तट पर रहा करते थे, यहीं से वो अपना नेटवर्क बनाए रखते थे। धीरे धीरे भारतीयों ने पूर्वी अफ्रीका के साथ साथ पश्चिमी अफ्रीका में भी खुद को बढ़ाया और अब भारतीय अफ्रीकी महाद्वीप के सभी देशों में गुजर बसर कर रहे हैं।

नाव से दक्षिण अफ्रीका पहुंचे प्रवासी भारतीय। फोटो साभारः The Gandhi-Luthuli Documentation Centre, University of Kwa-Zulu-Natal, South Africa

एंग्लोफोन देशों में भारत और अफ्रीका के बीच कॉमनवेल्थ कनेक्शन के अलावा भाषा का भी मेल है, जिससे यहां अधिक आबादी में प्रवासी भारतीय रहते हैं। लेकिन, फ्रैंकोफोन देशों में कई नीतियां ऐसी लागू हैं, जिससे भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक पहचान खोने का डर है और यही वजह है कि यहां भारतीयों की आबादी कम है। भारतीय मूल के लोग मॉरीशस और रीयूनियन द्वीप में आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं, जबकि सेशेल्स में अल्पसंख्यक हैं। हां, बेनिन, कैमरून, आइवरी कोस्ट, चाड, सेनेगल, माली और अल्जीरिया में भी काफी कम संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं।

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