संतोष
इजराइल पर हमास के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे आतंकी हमला करार दिया था। उसके उपरांत उन्होंने कहा था कि भारत आतंकवाद के किसी भी रूप का समर्थन नहीं करता है। भारत इस मुश्किल घड़ी में इजराइल के साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद वैश्विक स्तर पर यह चर्चा शुरू हो गई कि भारत फिलिस्तीन पर अपनी स्थापित नीति से पीछे हट गया है। भारत ने गुरुवार को इसको लेकर अपने स्थिति को साफ किया उसने कहा कि वह फिलिस्तीन पर अपने पुराने नीति पर अब भी कायम है।
भारत ने गुरुवार को कहा कि फिलीस्तीन पर वह अपनी पुरानी नीति पर कायम है। वह अपनी इस नीति को अब भी अक्षरश: मानती है। भारत ने कहा कि वह फिलीस्तीन को लेकर अपनी उस पुरानी नीति पर कायम है जिसमें वह चाहती है कि फिलिस्तीन राष्ट्र की एक ऐसी सीमा हो जो इजरायल के साथ शांतिपूर्ण और सद्भाव से परिपूर्ण हो। भारत इस बात का समर्थन करती है कि फिलीस्तीन एक सार्वभौमिक, संप्रभु और शांतिपूर्ण राष्ट्र हो जिसकी सीमा सद्भावपूर्ण हो। भारत यह भी चाहता है कि दोनों ही देश इस मुद्दे पर आपसी बातचीत को फिर से शुरू करें। यह बातचीत दोनों देशों के बीच विपक्षीय होनी चाहिए।
यह माना जाता है कि भारत की ओर से यह बयान आने की दो प्रमुख वजह है। इसकी एक वजह यह है कि इसकी वजह से भारत में राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने सरकार पर यह आरोप लगाया है कि वह फिलिस्तीन नीति से पीछे हट गई है। इसके अलावा दूसरी वजह यह मानी जा रही है कि भारत नहीं चाहता है कि उस पर यह आरोप लगे कि वह पश्चिमी दबाव में फिलीस्तीन मुद्दे से पीछे हट गया है। यही वजह है कि भारत ने स्पष्ट किया है कि उसने आतंकी हमले की आलोचना की है। हमास ने जिस तरह से त्योहार मना रहे लोगों का कत्लेआम किया है उसे वह आतंकवादी घटना मानता है। लेकिन उसके इस बयान को फिलिस्तीन मुद्दे से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। यह मसला इजराइल और फिलिस्तीन का नहीं है। यह मामला इजराइल और हमास का है। जिसमें हमास ने आतंकी हमला किया है।