यूएस इमिग्रेशन सिस्टम को 2 लाख से अधिक ऐसे डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स की जानकारी है, जो डिपोर्टेशन (निर्वासन) के खतरे का सामना कर रहे हैं। इनमें से करीब 70% भारतीय परिवारों के बच्चे हैं।
डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स उन बच्चों को कहा जाता है, जो अपने पैरेंट्स (नॉन-इमिग्रेंट वीजा होल्डर्स जैसे- H-1B) के साथ नाबालिग के रूप में अमेरिका आते हैं।
जब ये बच्चे 21 साल के हो जाते हैं, तो ये H-4 डिपेंडेंट वीजा (H-4 dependent visa) के साथ अमेरिका में नहीं रह सकते। आसान भाषा में कहें तो 21 साल की उम्र के बाद इन्हें या तो विदेशी छात्रों के लिए जारी होने वाला F-1 वीजा के लिए ट्रांजिट करना होगा या उन्हें अपने देश वापस लौटना होगा।
'इंप्रूव द ड्रीम' के संस्थापक दीप पटेल के सतत अभियान और अनुरोध के बाद कांग्रेसवूमेन डेबोरा रॉस, रैप मैरीनेट मिलर मीक्स और रैप किम यंग ने अमेरिका चिल्ड्रेन एक्ट (America’s Children Act) पेश किया है, जो वर्तमान के इमिग्रेशन कानूनों को तोड़कर ऐसे बच्चों को कानूनी परमानेंट रेजिडेंस का वादा करेगा।
इस एक्ट के इंप्लीमेंटेशन पर अभी काम चल रहा है और यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। अमेरिका में रहने वाले तमाम डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स को जीविकोपार्जन के लिए एच 1-बी लॉटरी (H1-B lottery) जीतने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। बढ़ती संख्या की वजह से उनके लिए संभावनाएं कम हो जाती हैं।
"Even if a Documented Dreamer does successfully switch to a student visa from a dependent visa, there is another set of struggles waiting on the other end."https://t.co/RDtuPIeovy
— Improve The Dream (@ImproveTheDream) July 13, 2021
इंडियन स्टार ने बेहतर जानकारी के लिए 'इंप्रूव द ड्रीम' से जुड़े दो डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स परीन महात्रे, संचार प्रबंधक और लक्ष्मी पार्वतीनाथन, संचालन प्रबंधक का इंटरव्यू लिया।