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कोरोना ने भारत में शिक्षा व्यवस्था को किस कदर 'बीमार' किया, रिपोर्ट से खुलासा

रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में पूरे भारत में 20,000 से ज्यादा स्कूलों पर ताला पड़ गया। इस अवधि में शिक्षकों की संख्या भी इससे पिछले साल की तुलना में 1.95 प्रतिशत कम हो गई। लाखों विद्यार्थी संसाधनों के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाए।

कोरोना महामारी के भारत में स्कूली शिक्षा पर दुष्प्रभाव को लेकर एक नई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य बताए गए हैं। कहा गया है कि इस वैश्विक महामारी ने भारत की शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी कमी को सामने ला दिया। करोड़ों छात्रों को घर पर ही रहकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इसने छात्रों के दो प्रकार तैयार कर दिए। एक वह जो ऑनलाइन क्लास लेने में सक्षम थे और दूसरे वह जिनके पास वर्चुअल माध्यम से पढ़ने का कोई साधन नहीं था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के केवल 2.2 प्रतिशत स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा थी। Photo by Nikhita S / Unsplash

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में बड़ी संख्या में विद्यार्थी लैपटॉप, टैबलेट या मोबाइल फोन जैसे डिजिटल उपकरणों की कमी और खराब नेटवर्क कनेक्टिविटी के चलते ऑनलाइन क्लासेज नहीं ले पाए। इनमें ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र थे। यह रिपोर्ट 2021-22 के दौरान भारत में स्कूली शिक्षा को लेकर तैयार की गई है।

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