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ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद ने सिडनी में मनाया 'आयुर्वेद दिवस'

केवल सिडनी में ही कई आयुर्वेद प्रैक्टिसनर अपनी प्राइवेट क्लिनिक चला रहे हैं। यहां तक कि अब  यहां की केमिस्ट के वेयर हाउस में आयुर्वेदिक दवाओं का एक अनुभाग देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से आर्युवेदिक दवाइयां यहां आम लोगों के जीवन का हिस्सा बनती जा रही हैं।

मेयर ऑफ़ parramatta समीर पांडे, स्ट्रेथफील्ड के डिप्टी मेयर सेंडी रेड्डी, ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएशन ऑफ़ आर्युवेद के प्रेसिडेंट डॉ नवीन शुक्ल, एनआईसीएम हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट फार्माकोलॉजी वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. डेनिस चांग Photo By Saraswati Singh

ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद ने 23 नवंबर को सिडनी में AAA (ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएशन ऑफ आर्युवेदा) के प्रेसिडेंट डॉ. नवीन शुक्ल की अगुआई में आयुर्वेद दिवस मनाया। सिडनी के PHIVE Parramatta में आयुर्वेद दिवस के अवसर पर जहां विशेषज्ञ का जमावड़ा दिखा वही आम लोगो ने यहां आकर आयुर्वेद में अपनी जिज्ञासा जाहिर की।

इस अवसर पर आयुर्वेद के दिग्गजों के साथ गेस्ट काउंसलर ( Councillor) और पूर्व लॉड (Lord Mayor) मेयर ऑफ parramatta  समीर पांडे, स्ट्रेथफील्ड के डिप्टी मेयर सेंडी रेड्डी, ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएशन ऑफ आर्युवेद के प्रेसिडेंट डॉ. नवीन शुक्ल, NICM हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट फार्माकोलॉजी वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. डेनिस चांग ने शिरकत की और दीप प्रज्वलित किया।

Councillor and former Lord Mayor of Parramatta Sameer Pandey addressing the people.लोगों को संबोधित करते पारामट्टा के पार्षद एवं पूर्व लार्ड मेयर समीर पांडे। Photo By Saraswati Singh

इस अवसर पर काउंसलर और पूर्व लार्ड मेयर ऑफ़ parramatta समीर पांडे ने मौजूद लोगों के बीच संबोधित करते हुए कहा कि इस आयोजन के जश्न मनाने और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद को बधाई। आयुर्वेद का प्राचीन ज्ञान और आयुर्वेद के प्रति प्रतिबद्धता सराहनीय है।

उन्होंने आगे कहा कि आयुर्वेद में हमारे जीवन को बेहतर बनाने की क्षमता है और हमारा काम इस प्राचीन ज्ञान के संरक्षक के रूप में आयुर्वेद को मुख्यधारा में लाना है।

ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष डॉ. नवीन शुक्ला विचार विमर्श करते हुए. Photo By Saraswati Singh

ऑस्ट्रेलियाई एसोसिएशन ऑफ़ आर्युवेद के प्रेसिडेंट डॉ नवीन शुक्ला ने जहां आम लोगों को मेडिसिन के फायदे से अवगत कराया वही आयुर्वेद  प्रैक्टिसनर (practitioner) के साथ इस बात पर विचार विमर्श किया कि कैसे जमीनी स्तर पर आम आदमी को आर्युवेद से लाभ पहुंचाया जा सकता है और आयुर्वेद को प्रभावी बनाने के लिए समाधान तैयार करते समय किन आधुनिक स्वास्थ्य मुद्दों और चुनौतियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

आयुर्वेद औषधि एवं अनुपूरक. Photo By Saraswati Singh

 आयुर्वेद का जन्‍म लगभग 3 हजार वर्ष पहले भारत में हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा भी आयुर्वेद को एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में स्वीकार किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया में आयुर्वेद के विकास के इतिहास Australian Association of Ayurveda Inc (AAA) से जुड़ा हुआ है। यह सब 1979 में पारंपरिक एशियाई चिकित्सा पर पहली अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के साथ शुरू हुआ जिसे आईसीटीएएम के नाम से जाना जाता है और जिसे प्रसिद्ध इंडोलॉजिस्ट और कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एशियाई अध्ययन विभाग के प्रमुख ए वंडर दैट के लेखक प्रोफेसर ए एल बाशम ने आयोजित किया था।

यह समान विचारधारा वाले विद्वानों, चिकित्सकों और आयुर्वेद, पारंपरिक चीनी चिकित्सा, तिब्बती चिकित्सा, कोरियाई पारंपरिक चिकित्सा, जापानी पारंपरिक चिकित्सा और पारंपरिक चिकित्सा के अन्य रूपों के चिकित्सकों का सबसे बड़ा जमावड़ा था।

इसमें अकेले भारत से ही चालीस से अधिक प्रसिद्ध विद्वान, लेखक और चिकित्सक प्रतिनिधि शामिल हुए थे। और ये कहा जा सकता है कि यहीं से Australian Association of Ayurveda की पृष्ठ भूमि तैयार हुई थी।

इस के साथ AAA को पहली बार 9 फरवरी 1988 को एसोसिएशन इनकॉर्पोरेशन एक्ट 1985 के तहत दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में पंजीकृत किया गया था और फिर आर्युवेद ने ऑस्ट्रेलिया में अपना पैर पसारना शुरू किया।

केवल सिडनी में ही कई आयुर्वेद प्रैक्टिसनर अपनी प्राइवेट क्लिनिक चला रहे हैं। यहां तक कि अब  यहां की केमिस्ट के वेयर हाउस में आयुर्वेदिक दवाओं का एक अनुभाग देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से आर्युवेदिक दवाइयां यहां आम लोगों के जीवन का हिस्सा बनती जा रही हैं। आयुर्वेदा दिवस के अवसर पर सिडनी के कोने कोने से प्रक्टिसनर ने भाग लिया और इस बात पर विचार किया कि किस प्रकार से इसे लोगों की रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बनाया जाए।

सिडनी के हर कोने से आयुर्वेद चिकित्सक और शोधकर्ताओ का समूह. Photo By Saraswati Singh

इस अवसर पर मुख्य अतिथि NICM हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट फार्माकोलॉजी वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रोफेसर डॉ. डेनिस चांग ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में आयुर्वेद को मैंने एक खजाने के बक्से के रूप में वर्णित किया है। इसमें बड़ी संभावनाएं हैं। कुछ पुरानी बीमारियों के इलाज और प्रावधान के लिए हम इसका अच्छे से इस्तेमाल कर सकते हैं।

आयुर्वेदिक चिकित्सा हजारों साल पुरानी संस्कृति का हिस्सा है और प्राचीन काल से ही भारत के समाज, शिक्षा, सेवा और जीवनशैली में मौजूद रही है और आज ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ आयुर्वेद के माद्यम से ऑस्ट्रेलिया सहित दुनिया को शरीर और दिमाग के लिए समग्र स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने के लिए तैयार है।

 

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