भारत में नॉर्वे के राजदूत हैंस जैकब फ्रायडेनलुंड ने 17 मार्च को रिलीज हुई भारतीय फिल्म ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ पर आपत्ति जताई है। जैकब ने फिल्म में दिखाए गए नॉर्वे की बाल कल्याण नीतियों से जुड़े तथ्यों को गलत बताया है और आरोप लगाया है कि फिल्म नॉर्वे के पारिवारिक जीवन के प्रति विश्वास और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति हमारे सम्मान को गलत तरीके से दर्शाती है।

आशिमा छिब्बर द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक अप्रवासी भारतीय मां के वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है जिसने अपने बच्चे की कस्टडी जीतने के लिए नॉर्वे के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। फिल्म में बॉलीवुड अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने सागरिका चक्रवर्ती का किरदार निभाया है। सागरिका वही महिला हैं जिन्होंने अपनी कानूनी लड़ाई का जिक्र अपनी ऑटो-बायोग्राफी ‘द जर्नी ऑफ ए मदर’ में किया है। यह किताब 2022 में प्रकाशित हुई थी।
जैकब ने ट्विटर पर लिखा कि यह फिल्म नॉर्वे के पारिवारिक जीवन के प्रति विश्वास और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति हमारे सम्मान को गलत तरीके से दर्शाती है। बाल कल्याण एक बड़ी जिम्मेदारी का विषय है जिसका लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जैकब ने ट्विटर पर भारतीय समाचारपत्र द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने op-ed की कटिंग को भी साझा किया है।
My Op-Ed in @IndianExpress today about the film #MrsChatterjeeVsNorway. It incorrectly depicts Norway’s belief in family life and our respect for different cultures. Child welfare is a matter of great responsibility, never motivated by payments or profit. #Norwaycares pic.twitter.com/FpVWmdLv5h
— Ambassador Hans Jacob Frydenlund (@NorwayAmbIndia) March 17, 2023
इस फिल्म में दिखाया गया है कि चटर्जी के दो बच्चे हैं जिन्हें अनुचित पालन-पोषण का आरोप लगाकर उनसे दूर कर दिया जाता है। फिल्म में बच्चे को पीटना और हाथ से खाना खिलाने की वजह से नॉर्वे प्रशासन यह कदम उठाता है। फिल्म में रानी मुखर्जी मुख्य भूमिका में हैं और अनिर्बान भट्टाचार्य ने उनके पति की भूमिका निभाई है।