अरुण अग्रवाल
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के प्राथमिक सीजन में एक उम्मीदवार को दूसरे से अलग करना अकसर मुश्किल होता है। खास तौर से तब जब एक ही पार्टी के उम्मीदवार यह तय करने के लिए आमने-सामने होते हैं कि मुख्य चुनाव में विरोधी पार्टी के उम्मीदवार का सामना कौन करेगा। मतदाताओं को आकर्षित करने के प्रयास में और इस तरह से राजनीतिक शक्ति में वृद्धि का लाभ उठाने के लिए पार्टी के आख्यानों को अक्सर दबाया जाता है। पार्टी के एजेंडे को बार-बार आगे बढ़ाया जाता है और पार्टी की बयानबाजी का हमेशा प्रचार किया जाता है।
जो उम्मीदवार सभी सही कारणों से भी इन वैचारिक सीमाओं के बाहर जाकर कुछ कहने-करने का साहस दिखाते हैं उन्हे अक्सर मतदाताओं द्वारा पार्टी लाइन से हटने के कारण अस्वीकार कर दिया जाता है। और इससे भी बुरा तब होता है जब कभी-कभी उन्हें राजनीतिक दलबदलू के रूप में देखा जाता है। हमारे देश में इस तरह का घटनाक्रम कोई अच्छा नहीं रहा है। इसके कारण विभाजन का स्तर बढ़ गया है जो हर गुजरते साल के साथ बदतर होता जा रहा है।
आज हम अगले राष्ट्रपति चुनाव से एक साल से भी कम दूरी पर हैं। हालांकि अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है, फिर भी कुछ निश्चितताएं हैं। एक उम्मीदवार के लिए वर्तमान प्रशासन की हालिया और लगातार कम होती रेटिंग को देखते हुए रिपब्लिकन प्राथमिक एक मौजूदा राष्ट्रपति के लिए एक वास्तविक चुनौती देने वाले के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
वहीं, दूसरे उम्मीदवार के लिए यह तेजी से स्पष्ट होता जा रहा है कि हमें किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो हमारे सामाजिक विभाजन की बढ़ती खाई को पाटने के लिए प्राथमिकता देगा। अन्यथा हमे जोखिम उठाना पड़ेगा। यकीनन अमेरिका विभाजित वक्त से गुज़रा है। जैसे कि गृह युद्ध, पुनर्निर्माण, नागरिक अधिकार और वियतनाम आदि। लेकिन अब्राहम लिंकन के शब्दों में हम हमेशा 'हमारे स्वभाव के बेहतर स्वर्गदूतों' पर भरोसा करने में सक्षम रहे हैं। ताकि आगे बढ़ सकें।
उथल-पुथल के समय में हमें एकजुट करने में जिन लोगों ने मुख्य भूमिका निभाई उनमें ऐतिहासिक दिग्गज अब्राहम लिंकन, जॉन एफ कैनेडी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और यूलिसिस एस ग्रांट के नाम शामिल हैं। आज एक बार फिर संयुक्त राज्य अमेरिका एक चौराहे पर खड़ा है। और हम जो निर्णय लेंगे उसका असर पीढ़ियों तक रहेगा। पिछले कई चुनाव चक्रों में हमारे अगले 'बेहतर देवदूत' की पहचान करना काफी कठिन काम साबित हुआ है। लेकिन एक विभाजित देश को एकजुट करने में सक्षम एक सच्चे नेता को खोजने की हमारी इच्छा प्रबल बनी हुई है। हमारे देश के लोग आशावान बने हुए हैं क्योंकि क्षितिज पर एक नए दिन का उदय हो रहा है।
बहरहाल, मैं संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी राजदूत (2017-2018) और दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर (2011-2017) निकी हेली को 15 वर्षों से अधिक समय से जानता हूं और मैं स्पष्ट रूप से घोषणा कर सकता हूं कि वह हमारे लिए सामुदायिक उत्प्रेरक हो सकती हैं। ऐसी उत्प्रेरक जिसकी लोगों को जरूरत है। तीन प्राथमिक बहसों के बाद राजदूत हेली न केवल स्पर्धा में कायम हैं बल्कि मतदान के लिहाज से तेजी से लोकप्रिय भी हो रही हैं।
ऐसा लग रहा है कि मतदाता उनकी अपनी पार्टी द्वारा किए गए खराब निर्णयों के खिलाफ साहसी रुख अपनाने की उनकी क्षमता से मंत्रमुग्ध हैं जैसा कि उन्होंने पहली रिपब्लिकन प्राथमिक बहस में किया था जब उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के भारी खर्च को रोकने की मांग करते हुए अपनी ही पार्टी के पाखंड की ओर इशारा किया था जबकि वास्तव में, 2.2 ट्रिलियन डॉलर का कोविड प्रोत्साहन बिल रिपब्लिकंस द्वारा पारित किया गया था।
प्राथमिक क्रम की हरेक बहस के साथ राजदूत हेली ऐसी नेता प्रतीत होती हैं जिसकी हमे बहुत बेसब्री से तलाश है। एक ऐसा उम्मीदवार जो देश के प्रबंधन और नेतृत्व दोनों के लिए एक सामान्य ज्ञान वाला दृष्टिकोण रखता है। उसके पास अपने विरोधियों की तुलना में विदेश नीति का कहीं अधिक अनुभव है और उन कार्यों को करने का एक मंच है जिसकी दोनों पार्टियों के मतदाता वर्षों से मांग कर रहे हैं। इसमें कांग्रेस की कार्यकाल सीमा और निर्वाचित का संज्ञानात्मक परीक्षण शामिल है। एक निश्चित आयु के बाद अधिकारियों और उचित बजट स्वीकृत होने तक वेतन की योजना है।
सच तो यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में आज राजनीतिक समझौता सहारा के रेगिस्तान में बर्फ के टुकड़े जितना दुर्लभ है। इसलिए क्योंकि समझौते के लिए हमेशा एक स्तर के बलिदान की आवश्यकता होती है जिसे बहुत कम राजनेता करने को तैयार होते हैं। भले ही यह उनके निर्वाचन क्षेत्र और पूरे देश के लाभ के लिए हो। फिर भी हम एक ऐसा नेता चुनने को विवश होते हैं जो छिटके रहते हैं। यानी ऐसा नेता जो हमारा 'बेहतर देवदूत' नहीं हो पाता।
मेरे विचार से तो राजदूत हेली अलग हैं और इसमें आप कोई गलती न करें। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बहुत अच्छी बात है। उसके पास समग्र हित के लिए विविध व्यक्तियों के समूह को एकजुट करने की सिद्ध क्षमता है और वह स्पष्ट रूप से उन उपलब्धियों को पहचानती है जिन्हें तब महसूस किया जा सकता है जिनका आधार सामूहिक सफलता पर रखा जाता है न कि व्यक्तिगत उपलब्धि पर। वह एक निस्वार्थ नेता साबित हुई हैं और सच कहूं तो अभी हमें ऐसे ही नेता की जरूरत है।
(अरुण अग्रवाल डलास के एक व्यवसायी हैं जो नागरिक गतिविधियों में अत्यधिक सक्रिय रहते हैं)