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रिसर्च का दावा: अमेरिका में एशियाई समूह में हिंदुओं की तादाद सबसे अधिक

अन्य एशियाई मूल के समूहों की तुलना में भारतीय अमेरिकियों में हिंदुओं की तादद सबसे अधिक है। प्यू रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अमेरिकियों में हिंदुओं के 48% होने की अधिक संभावना है। भारतीय अमेरिकियों की एक बड़ी संख्या ईसाई (15%), मुस्लिम (8%) या सिख (8%) भी है।

Photo by Omid Armin / Unsplash

अमेरिका में हिंदुओं की बढ़ती उपस्थिति आज हर क्षेत्र में नजर आ रही है। न सिर्फ आबादी के हिसाब से ब्लकि समाज जीवन के हर क्षेत्र में हिंदुओं ने अपनी प्रतिभा को लोहा मनवाया है। तकनीक, कारोबार से लेकर हिंदू यहां तेजी से राजनीतिक रूप से भी सक्रिय हैं। अमेरिका की कई बड़ी कंपनियों में हिंदू शीर्ष पदों पर हैं। योग और ध्यान की लोकप्रियता भी काफी बढ़ी है।

एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि अन्य एशियाई मूल के समूहों की तुलना में भारतीय अमेरिकियों में हिंदुओं की तादद सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अमेरिकियों में हिंदुओं के 48% होने की अधिक संभावना है। भारतीय अमेरिकियों की एक बड़ी संख्या ईसाई (15%), मुस्लिम (8%) या सिख (8%) भी है। प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए सर्वेक्षण से ये जानकारी सामने आई है। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई अमेरिकी तेजी से ईसाई धर्म छोड़ रहे हैं और धार्मिक रूप से असंबद्ध हो रहे हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार पूरे अमेरिकी जनता की तरह, एशियाई अमेरिकियों का बढ़ता प्रतिशत किसी भी धर्म से संबद्ध नहीं है। ईसाई के रूप में पहचान करने वाले हिस्से में गिरावट आई है।

भारतीय अमेरिकियों के अलावा अमेरिका में 60% दक्षिण एशियाई (यानी जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान सहित देशों से हैं) मुस्लिम हैं। यह छह सबसे बड़े एशियाई मूल समूहों में से किसी से भी अधिक हैं। सर्वेक्षण से पता चलता है कि 40% एशियाई अमेरिकी मानते हैं कि वे अपने मूल धर्म के कुछ धार्मिक परंपरा के करीब महसूस करते हैं।

उदाहरण के लिए, केवल 11% एशियाई अमेरिकी वयस्कों का कहना है कि उनका धर्म बौद्ध धर्म है, लेकिन 21% अन्य कारणों से बौद्ध धर्म के करीब महसूस करते हैं, जैसे कि पारिवारिक पृष्ठभूमि या संस्कृति। प्यू रिसर्च के मुताबिक कई और तथ्य उभरकर सामने आते हैं। ईसाई धर्म अभी भी एशियाई अमेरिकियों (34%) के बीच सबसे बड़ा विश्वास समूह है।

लेकिन ईसाई धर्म में भी सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह 2012 के बाद से 8 प्रतिशत अंक नीचे है। एशियाई अमेरिकी ईसाई कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट (सभी अमेरिकी एशियाई वयस्कों का क्रमशः 17% और 16%) के बीच समान रूप से विभाजित हैं। जन्मजात प्रोटेस्टेंट एशियाई अमेरिकियों का 10% हिस्सा हैं।

बौद्ध और हिंदू प्रत्येक दस एशियाई अमेरिकियों में से एक हैं। मुस्लिम 6% बनाते हैं।
विभिन्न अन्य धार्मिक समूह (दाओवादी, जैन, यहूदी, सिख) एक साथ सभी एशियाई अमेरिकी वयस्कों का लगभग 4% हैं। 12% एशियाई अमेरिकियों ने सर्वेक्षण में मापे गए किसी भी धर्म या दार्शनिक परंपराओं को न तो पहचाना, न ही उनके करीब महसूस किया। दस एशियाई अमेरिकियों में से लगभग तीन (29%) का कहना है कि वे महीने में कम से कम एक बार धार्मिक सेवाओं में भाग लेते हैं। धार्मिक स्थान पर जाते हैं। 21% ऐसे हैं जो कहते हैं कि वे साप्ताहिक या अधिक बार ऐसा करते हैं।

कुल मिलाकर विदेशी मूल के एशियाई अमेरिकियों को अमेरिका में पैदा हुए लोगों की तुलना में धार्मिक सेवाओं में भाग लेने की अधिक संभावना है। घर में पूजा के लिए एक वेदी, मंदिर या अन्य धार्मिक प्रतीक का उपयोग वियतनामी और भारतीय अमेरिकियों के बीच सबसे आम है, क्योंकि यह बौद्धों (जो वियतनामी अमेरिकी आबादी का 37% हैं) और हिंदुओं (भारतीय अमेरिकी आबादी का 48% हैं) के बीच एक अपेक्षाकृत आम अभ्यास है।

उदाहरण के लिए, लगभग आधे एशियाई अमेरिकी प्रोटेस्टेंट (53%) का कहना है कि वे मासिक रूप से धार्मिक सेवाओं में भाग लेते हैं, लेकिन घर पर पूजा नहीं करते हैं। वहीं, आधे बौद्ध (51%) और हिंदू (52%) इसके विपरीत कहते हैं कि वे मासिक रूप से धार्मिक सेवाओं में भाग नहीं लेते हैं, लेकिन वे अपने घर पर पूजा जरूर करते हैं।

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