अमेरिका में नौकरी से निकाले गए एच1-बी कर्मचारियों के सामने कई तरह की चुनौतियां सामने आ रही हैं। मौजूदा कानूनों की वजह से उनके ऊपर अमेरिका छोड़ने का खतरा भी मंडरा रहा है। नियम है कि एच1-बी वीजा धारक नौकरी जाने के बाद 60 दिनों तक ही अमेरिका में रह सकते हैं। ऐसे में अमेरिका स्थित एक प्रमुख समूह अमेरिकन यहूदी समिति (AJC) ने अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के निदेशक को पत्र लिखकर एच-1बी पेशेवरों के संबंध में कानूनों पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। अमेरिकी यहूदी समिति ने फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज के प्रमुख खांडेराव कंड के साथ मिलकर यह पत्र लिखा है।
भारतीय पेशेवरों की नींद क्यों उड़ी हुई है?
पहले जान लेते हैं कि भारतीय पेशेवर मौजूदा समय में किस तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। दरअसल, अमेरिका में तकनीकी सेक्टर में हुई बेतहाशा छंटनी ने भारतीय पेशेवरों को दोतरफा चोट दी है। एक तरफ जहां उन्हें अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। वहीं, दूसरी तरफ बहुत से एच-1बी वीजा धारक पेशेवरों पर अमेरिका छोड़कर जाने की तलवार लटक रही है। क्योंकि मौजूदा कानूनों के तहत उन्हें रोजगार खोने के 60 दिनों के अंदर देश छोड़ना होगा। इसे लेकर हजारों भारतीय पेशेवर और उनके परिवार के सदस्यों की नींद उड़ी हुई है। हालांकि अमेरिका सरकार ने कुछ आश्वासन भी दिए हैं।
छूट बढ़ाने की मांग
अमेरिकी यहूदी समिति ने अपने पत्र में अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों से कहा है कि वे अमेरिका में नौकरी से निकाले गए भारतीय कुशल पेशेवरों की समस्याओं पर विचार करें और उनकी दो महीने की छूट अवधि को बढ़ाकर एक साल करें। हाल के महीनों में कई भारतीय कुशल पेशेवरों ने अपनी नौकरी खो दी है। अमेरिका में जन्मे बच्चों के कई विदेशी-राष्ट्रीय माता-पिता को एच1बी कार्य वीजा पर दी गई दो महीने की छूट अवधि के कारण अपने परिवारों के साथ अपने मूल देशों में वापस जाना पड़ा है।
अर्थव्यवस्था बढ़ाने में दे रहे योगदान
AJC के मुख्य नीति और राजनीतिक मामलों के अधिकारी जेसन एफ इसाकसन का कहना है कि दो महीने की सीमित छूट अवधि कुशल श्रमिकों के सामने कठिनाई पेश कर रही है। इसके साथ ही यह सीमित छूट अमेरिकी उद्योग को उन पेशेवरों तक पहुंच से वंचित करता है जिन्होंने हमारी अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पत्र में अमेरिकी सरकार से छूट की अवधि को दो महीने से बढ़ाकर एक साल करने का आग्रह किया गया है। जिससे अमेरिका में नौकरी गंवा चुके इन विस्थापित पेशेवरों को अन्य अवसरों की तलाश करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
प्रभावशाली समूहों में एक है AJC
अमेरिकी यहूदी समिति अमेरिका में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक है। यह समिति पहले भी भारतीय हितों के लिए पैरवी करती रही है। इनमें सबसे उल्लेखनीय 2005 और 2008 के बीच भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की वकालत है। इसने हाल ही में अमेरिकी सीनेट में भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के लिए भी पैरवी की थी।