भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में लगातार बारिश और बाढ़ की वजह से न सिर्फ जान-माल का जबरदस्त नुकसान हुआ है बल्कि इस राज्य की ऐतिहासिक 94 किलोमीटर लंबी कालका-शिमला रेलवे लाइन भी कुछ हिस्सों से क्षतिग्रस्त हो गई है। यह रेलवे लाइन युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।
मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में समर हिल और जूटोघ स्टेशनों के बीच स्थित प्रतिष्ठित रेलवे लाइन का एक हिस्सा भारी भूस्खलन में बह गया है। वहीं रेलवे ट्रैक का एक हिस्सा हवा में झूल रहा है। यह कालका-शिमला रेलवे लाइन 1903 में जनता के लिए खोली गई थी।
खबरों की मानें तो इस प्राकृतिक आपदा के कारण हुई बर्बादी की वजह से यह रेलवे लाइन चालू करने में काफी समय लग सकता है। बता दें कि भारत में मानसून की शुरुआत के बाद से ही हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश पड़ रही है। पहले से ही रेलवे ट्रैक पर मलबा, गिरे हुई पेड़ और चट्टानों और बार-बार पहाड़ी खिसकने के कारण रेलवे मार्ग पर 150 से अधिक जगह पर व्यवधान देखा गया था।
हालांकि थोड़े समय के लिए सोलन-शिमला मार्ग चालू रहा लेकिन अब ताजा हादसे के बाद मार्ग एक बार फिर बंद कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश प्रशासन के अनुसार अगर बारिश कम हुई और बाढ़ नहीं आई तो रेल मार्ग को एक महीने में चालू किया जा सकता है।
आपको मालूम हो कि यह रेल मार्ग भारत के सबसे खूबसूरत रेल मार्गों में से एक है। इस पर 20 स्टेशन हैं और 102 सुरंगे व 919 मोड़ हैं। इस मार्ग पर 880 पुल भी हैं। इस सुंदर 96.6 किमी लंबे मार्ग पर एक तरफ की यात्रा करने में लगभग पांच घंटे लगते हैं। इस रेल मार्ग पर ऐतिहासिक टॉय ट्रेन चलती है जो आपकी यात्रा को यादगार बनाती है।
यह रेलवे लाइन भारत के माउंटेन रेलवे नामक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के अंतर्गत आती है। कालका-शिमला रेलवे लाइन इस क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है।