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प्रवासी भारतीयों तक पहुंचेगी ‘नमो इम्पैक्ट कॉफी टेबल बुक’

बुक का विमोचन हाल ही में नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय ऑडिटोरियम में किया गया। इसका विमोचन दक्षिण भारत के राज्य केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस गरिमामयी कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

Photo: NIA

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार के मंत्री व उनकी पार्टी अपनी सरकार की उपलब्धियों व विकास योजनाओं को आम जन के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोगों खासकर प्रवासी भारतीयों तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में मोदी सरकार की नीतियों और विकास योजनाओं और उसके लाभ को लेकर भारत की राजधानी नई दिल्ली में ‘नमो इम्पैक्ट कॉफी टेबल बुक’ और ‘स्मारिका’ का विमोचन किया गया। इस बुक के कर्ताधर्ताओं की सोच है कि इस इस पुस्तक को अपने लोगों के जरिए प्रवासी भारतीयों तक पहुंचाया जाए।

इस बुक का विमोचन हाल ही में नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय ऑडिटोरियम में किया गया। इसका विमोचन दक्षिण भारत के राज्य केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने किया। इस गरिमामयी कार्यक्रम में ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष परम स्वामी चिदानंद सरस्वती, असम एवं नागालैंड के पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर जगदीश मुखी के अलावा अन्य प्रबुद्ध लोगों में सुरेश चंद सिंघल, डॉ. नंद किशोर गर्ग, विनीत लोहिया, जगदीश राय गोयल, नरेश बंसल के अलावा बुक की परिकल्पना और निर्माण करने वाले अतुल सिंघल भी मौजूद थे। इस अवसर पर खान ने कहा कि बुक में मोदी सरकार की नीतियों का विस्तृत वर्णन और निष्पक्ष विश्लेषण किया गया है। यह प्रधानमंत्री की नीतियों पर आधारित साक्षात्कारों का एक संकलन है।

उन्होंने कहा कि इस समय पूरे भारत में उत्सव का वातावरण है, ऐसे समय में प्रधानमंत्री के संबंध में उनकी नीति, कार्यों और नेतृत्व के बारे में विभिन्न लोगों के विचारों को विस्तार से बताने के लिए नमो इम्पैक्ट कॉफी टेबल लाई गई है, जो राजनीतिक स्वतंत्रता, सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के बगैर अधूरी है। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि भारत केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है, बल्कि सबसे पुराना लोकतंत्र है। पूरी दुनिया में लोकतंत्र का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। भारत में आध्यात्मिक लोकतंत्र का इतिहास हजारों हजारों वर्ष पुराना है। भारत की सभ्यता और संस्कृति आत्मा से परिभाषित होती है। प्रबंधकों ने जानकारी दी कि इस बुक को अपने लोगों के जरिए प्रवासी भारतीयों तक भी पहुंचाने की योजना बनाई गई है। इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कार्यक्रम के बाद आए अतिथिगणों ने संग्रहालय का भी निरीक्षण किया और उसकी तारीफ की।

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